Wednesday, October 31, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 91-93


91

आओ कि लब ए क़ल्ब, खुदा को ढूंढें,
रूहानी दुकानों में, वबा को ढूंढें,
क्यूं कौम हुई पस्त सफ़े अव्वल की?
मज़हब की पनाहों में ख़ता को ढूंढें.
लबे-क़ल्ब=दिल के पास ,वबा=रोग 

آؤ کہ لبِ قلب خدا کو ڈھونڈھیں 
روحانی دکانوں میں وبا کو ڈھونڈھیں 
کیوں قوم ہوئی  پست صفِ اول کی
مذہب کی پناہوں میں خطا کو ڈھونڈھیں ٠ 

92

क्यों सच के मज़ामीन यूँ मलफ़ूफ़ हुए, 
फ़रमान बजानिब हक, मौक़ूफ़ हुए, 
इंसान लरज़ जाता है ग़लती करके, 
लग्ज़िश के असर में ख़ुदा मौसूफ़ हुए. 
मल्फूफ़=लिफ़ाफ़ाबंद ,मौकूफ=रद्द, मौसूफ़=सिफ़तवाला 

کیوں سچ کے مضامین یوں ملفوف ہوئے 
فرمان بجانب حق موقوف ہوئے 
انسان لرز جاتا ہے غلطی کر کے 
لغزش کے اثر میں خدا موصوف ہوئے ٠ 

93

ग़ारत हैं इर्तेक़ाई मज़मून वले, 
अज़हान थके हो गए, ममनून वले,
साइन्स के तुलबा को ख़बर खुश है ये, 
इरशाद हुवा "कुन" तो "फ़याकून"वले,.
इर्तेक़ाई=रचनात्मक,अज़हान=ज़ेहन,ममनून=आभारी,
"कुन" "फयाकून"=होजा , होगया तलबा=विद्यार्थी  
  
غارت ہیں ارتقائی مضمون ولے 
اذہان تھکے ہو گئے ممنون ولے 
سائنس کے طلبا کو خبر خوش ہے یہ 
ارشاد ہوا کن تو فیکون والے ٠ 

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