91
आओ कि लब ए क़ल्ब, खुदा को ढूंढें,
रूहानी दुकानों में, वबा को ढूंढें,
क्यूं कौम हुई पस्त सफ़े अव्वल की?
मज़हब की पनाहों में ख़ता को ढूंढें.
लबे-क़ल्ब=दिल के पास ,वबा=रोग
آؤ کہ لبِ قلب خدا کو ڈھونڈھیں
روحانی دکانوں میں وبا کو ڈھونڈھیں
کیوں قوم ہوئی پست صفِ اول کی
مذہب کی پناہوں میں خطا کو ڈھونڈھیں ٠
92
क्यों सच के मज़ामीन यूँ मलफ़ूफ़ हुए,
फ़रमान बजानिब हक, मौक़ूफ़ हुए,
इंसान लरज़ जाता है ग़लती करके,
लग्ज़िश के असर में ख़ुदा मौसूफ़ हुए.
मल्फूफ़=लिफ़ाफ़ाबंद ,मौकूफ=रद्द, मौसूफ़=सिफ़तवाला
کیوں سچ کے مضامین یوں ملفوف ہوئے
فرمان بجانب حق موقوف ہوئے
انسان لرز جاتا ہے غلطی کر کے
لغزش کے اثر میں خدا موصوف ہوئے ٠
93
ग़ारत हैं इर्तेक़ाई मज़मून वले,
अज़हान थके हो गए, ममनून वले,
साइन्स के तुलबा को ख़बर खुश है ये,
इरशाद हुवा "कुन" तो "फ़याकून"वले,.
इर्तेक़ाई=रचनात्मक,अज़हान=ज़ेहन,ममनून=आभारी,
"कुन" "फयाकून"=होजा , होगया तलबा=विद्यार्थी
غارت ہیں ارتقائی مضمون ولے
اذہان تھکے ہو گئے ممنون ولے
اذہان تھکے ہو گئے ممنون ولے
سائنس کے طلبا کو خبر خوش ہے یہ
ارشاد ہوا کن تو فیکون والے ٠
No comments:
Post a Comment