Friday, October 5, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 28-30



28

चाहे जिसे इज्ज़त दे, चाहे ज़िल्लत, 
चाहे जिसे ईमान दे, चाहे लअनत, 
समझाने बुझाने की मशक्क़त क्यों है? 
जब ख़ुद तेरे ताबे में है सारी हिकमत .

چاہے جِسے عزّت دے چاہے ذلّت 
چاہے جِسے ایمان دے چاہے لعنت 
سمجھقا نے بُجھانے کی مشقّت کیوں ہو 
جب خود ترے تعبے میں ہے ساری حِکمت ٠ 

 29

जम्हूर में एहसास की पस्ती देखी, 
दौलत को अमीरों पे बरसती देखी,
दानों को तरसती हुई बस्ती देखी,
अ.फ्लास के साथ, मौज और मस्ती देखी.

جمہور میں احساس کی ، پستی دیکھی 
 دولت کو امیروں پہ،  برستی دیکھی 
دانوں کو ترستی ہوئی ، بستی دیکھی 
افلاس کے ساتھ ، موج اور مستی دیکھی ٠ 

 30

जब गुज़रे हवादिस तो तलाशे है दिमाग, 
तब मय की परी हमको दिखाती चराग़, 
रुक जाती है वजूद में बपा जंग, 
फूल बन कर खिल जाते हैं दिल के सब दाग़. 

جب گزرے حوادث کو تلاشے یہ دماغ 
تب  مے کی پری ہم کو دِکھاۓ ہے چراغ 
رّک جاتی ہے وجود میں بپا جنگ 
پھول بن کر کِھل جاتے ہیں دل کے سب داغ ٠ 

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