Monday, October 8, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 37-39



37

जब तक नहीं जागोगे दलित और पिछडो,
आपस में लड़ोगे यूं ही शोषित बंदो,
ग़ालिब ही रहेंगे तुम पे ये मनुवादी,
ऐ अ.क्ल के अन्धो! और करम के फूटो !!

جب تک نہیں جاگوگے ، دلِت اور پِچھڑو 
آپس میں لڑوگے یوں ہی ، شوشِت بندو
کرتے ہی رہینگے راج ، منو وادی لوگ 
اے عقل کے اندھو ، اور کرم کے پھوٹو٠   

38

क्या शय है मनुवाद तेरा खोटा निज़ाम,
महफूज़ बरहमन के लिए हर इक जाम,
मैं ने है पढ़ा तेरी मनु स्मृति में,
सर शर्म से झुकता है, तेरा पढ़ के पयाम.

کیا شے ہے ، منو واد ، ترا کھوٹا نظام 
محفوظ برہمن کے لئے ، ہر اک جام 
میں نے ہے پڑھا ، تیری منو اسمرتی میں 
سر شرم سے جھکتا ہے ترا پڑھ کے پیام ٠  

39

मूसा सा अड़ा मैं तो क़बा खोल दिया, 
सदयों से पड़ी ज़िद की गिरह खोल दिया,
रेहल रख दिया, उसपे किताबे महशर,
पढ़ने के लिए उसने नदा खोल दिया.
क़बा=परिधान, महशर=क़यामत  

موسیٰ سا اڑا میں ، تو قبا کھول دیا 
صدیوں سے پڑی ضِد کی ، گِرہ کھول دیا 
رحل رخ دِیا ، اس پہ کتابِ محشر 
پڑھنے کے لئے ، اِس نے نِدا کھول دیا ٠ 

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