Monday, October 29, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 85-87


85 

शैतान को भड़काते, किसी ने देखा?
आवाज़ सुनी उसकी, किसी नें समझा?
आओ मैं दिखता हूँ अगर चाहो तो,
तबलीग़ के परदे में छिपा है बैठा.

شیطان کو بہکاتے ، کسی نے دیکھا ؟
آواز سُنی اُسکی ، کسی نے سمجھا ؟
آؤ میں دکھاتا ہوں ، اگر چاہو تو 
تبلیغ کے پردے میں ، چُھپا ہے بیٹھا ٠ 

86

ईसाई ग़नीमत हैं, बदल जाते हैं,
हालात के साँचे में ही ढल जाते हैं,
फ़ितरत के हुए क़ायल, साइंस शुआर,
मजलिस की जिहालत से निकल जाते हैं.

عیسائی غنیمت ہیں ، بدل جاتے ہیں 
حالا ت کے سانچے میں ہی ڈھل جاتے ہیں 
فطرت کے ہوئے قائل ، سائنس شعار 
مجلس کی جہالت سے ، نکل جاتے ہیں ٠ 

87

ग़फ़लत थी मेरी या कि तुम्हारी जय थी.
ग़ालिब थी मुरव्वत जो अजब सी शय थी,
तुम पर था चढ़ा जोश ए तशद्दुद का ख़ुमार,
दो जाम भरे सुल्ह के, मेरी मय थी.

غفلت تھی مری ، یا کہ تُمہاری جے تھی 
غالب تھی مُرووت ، جو عجب سی شے تھی 
تُم پہ تھا چڑھا جوش و تشدُّد کا خُمار 
دو جام بھرے صُلح کے ، میری مے تھی ٠ 

No comments:

Post a Comment