Sunday, October 21, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 67-69


67

पीटते रहोगे ये लकीरें कब तक?
याद करोगे माज़ी की तीरें कब तक,
मुस्तक़बिल पामाल किए हो यारो,
हर हर महादेव, तक्बीरें कब तक?
माज़ी=अतीत , मुस्तकबिल=भविष्य 

پیٹتے رہوگے یہ لکیریں کب تک ؟
یاد کروگے ، ماضی کی ، تیریں کب تک 
مستقبل ، پامال کئے ہو یارو
ہر ہر مہا دیو ، تکبیریں کب تک ؟ ٠ 

68

पैदा हुए नादान की जड़ काट दिया,
बनते हुए इंसान की जड़ काट दिया,
हो गया मुसलमान, हुए ख़तने से ,
बचपन में ही इमकान की जड़ काट दिया.

پیدا ہوئے نادان کی ، جڑ کاٹ دیا 
بنتے ہوئے اِنسان کی جڑ، کاٹ دیا 
ہو گیا مسلمان ، ہوئے ختنے سے 
بچپن میں ہی اِمکان کی ، جڑ کاٹ دیا ٠

69

बस  आग, लगे  छेड़ दिया है तुमने,
लग कर न बुझे, छेड़ दिया है तुमने,
जाए न बदल मेरी दुआओं का असर,
कुछ ऐसा मुझे छेड़ दिया है तुमने.

بس آگ لگے ، چھیڑ دیا ہے تم نے 
لگ کر نہ بُجھے ، چھیڑ دیا ہے تم نے 
جاۓ نہ بدل ، میری دعاؤں کا اثر 
کُچھ ایسا مُجھے ، چھیڑ دیا ہے تم نے ٠

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