Tuesday, October 16, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 61-63


61

हों फ़ेल मेरे ऐसे, मेरी नज़रें न झुकें, 
सब लोग हसें और क़दम मेरे रुकें, 
अफ़कार ओ अमल हैं लिए सर की बाज़ी. 
'मुंकिर' की नफ़स चलती रहे या कि रुके, 

फ़ेल=कर्म,अफ़कार ओ अमल =सोंच, कार्य  

ہوں فعل مرے ایسے ، مری نظریں جُھکیں 
سب لوگ ہنسیں اور قدم میرے تھمیں 
افکار و عمل ہیں لئے ، سر کی بازی 
منکر کی نفس چلتی رہیں ، یاکہ رُکیں ٠

62
सर को ठंडा, पैर गरम रख भाई, 
हो पीठ कड़ी, पेट नरम रख भाई, 
सच्चाई भरे अच्छे करम हों तेरे, 
ढोंगी न बन काँटे धरम रख भाई. 

سر کو ٹھنڈا ، پیر گرم رکھ بھائی 
ہو پیٹھ کڑی ، پیٹ نرم رکھ بھائی 
سچائی بھرے ، اچھے کرم رکھ بھائی 
ڈھونگی نہ ہو ، کانٹے کا دھرم رکھ بھائی ٠ 

63
घर वाली की हर वक़्त हिमायत छोड़ो,
नर जैसे बनो, मादा की ख़सलत छोड़ो,
फुंक जाते हो, गर कान को फूंके जोरू,
बस थोड़ी सी ग़ैरत में हरारत छोड़ो.

گھر والی کی ہر وقت حمایت چھوڑو 
نر جیسے بنو ، مادہ کی خصلت چھوڑو 
پُھنک جاتے ہو ، گر کان کو پھونکے جورو 
بس تھوڑی سی غیرت میں حرارت چھوڑو ٠ 

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