Thursday, October 4, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 19-21


19

कुछ रुक तो ज़माने को जगा दूं तो चलूँ,
मैं नींद के मारों को हिला दूं तो चलूँ,
ऐ मौत किसी मूज़ी को जप कर आजा,
सोई हुई उम्मत को उठा दूं तो चलूँ.

کُچھ رُک تو زمانے کو جگا دوں تو چلوں 
میں نیند کے ماروں کو ہلا دوں تو چلوں 
ائے موت کسی موذی کو جَپ کر آ جا 
سوئی ہُوئی اُمّت کو جگا دوں تو چلوں ٠

20

औरत को गलत समझे कि आराज़ी है,
यह आप के ज़ेहनों में बुरा माज़ी है,
यह माँ भी, बहन बेटी भी, शोला भी है,
अब दीन की पूछो, वह भला राज़ी है.

عورت کو غلط سمجھے کہ اراضی ہے
یہ آپ کے زہنو ں میں برا ماضی ہے
یہ ماں بھی بہن بیٹی بھی ، شولا بھی ہے
اب دین سے پوچھو جو اگر راضی ہے ٠ 

21

क्यों तूने बनाया इन्हें बोदा यारब!
ज़ेहनों को छुए इनका अक़ीदा यारब,
पूजे जो कोई मूरत, काफ़िर ये कहें,
खुद क़बरी सनम पर करें सजदा यारब.

کیوں تونے بنایا انہیں بودا یا رب 
ذہنوں کو چُھوے ان کا عقیدہ یا رب 
پوجے جو کوئی مورت ، کافر یہ کہیں 
خود قبری صنم کو کریں سجدہ یا رب ٠

No comments:

Post a Comment