Tuesday, October 23, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 76-78


76

छाई है घटाओं की बला, आ जाओ,
हल्का सा तबस्सुम ही सही, गा जाओ,
गर चाहो तो, हो जाओ ज़रा दरया दिल,
प्यासों पे घटाओं की तरह छा  जाओ.

میٹھی سی زباں ، سیدھا تکلُّم بانٹو 
بندوں کو توانائی ، تبسُّم بانٹو 
میں مشورہ دیتا ہوں تُمہیں الله میاں 
جنّت نہ صحیح ، پر نہ جہنُّم بانٹو ٠

77

लोगों के मुक़दमों में पड़े रहते हो,
नज़रों को नज़ारों को तड़े रहते हो,
खुद अपने ही हस्ती से नहीं मिलते कभी,
और ताज में ग़ैरों के जड़े रहते हो.

لوگوں کے مقدموں میں پڑے رہتے ہو 
نظروں کو نظا روں کو تڑے  رہتے ہو 
خود اپنی ہی ہستی سے نہیں ملتے کبھی 
اور تاج میں غیروں کے جڑے رہتے ہو ٠ 

78

बेचैन सा रहता हैभरी महफ़िल में,
है कौन छिपा बैठा, तड़पते दिल में,
रहती हैं ये आखें, मतलाशी किसकी ?
मंजिल है कहाँ, कौन निहाँ मंजिल में.
मतलाशी=खोजी , निहाँ=छुपा 

بے چین سا رہتا ہے ، بھری محفل میں 
ہے کون چھپا بیٹھا ، تڑپتے دل میں 
رہتی ہیں یہ آنکھیں ، متلاشی کس کی 
منزل ہے کہاں ؟ کون نہاں منزل میں ٠ 

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