Tuesday, October 9, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 40-42


40
मिम्बर पे मदारी को अदा मिलती है,
मौज़ूअ पे मुक़र्रिर को सदा मिलती है,
रुतबा मेरा औरों से ज़रा हट के है,
हम पहुंचे हुवों को ही नदा मिलती है. 
मिम्बर=आसन , मौज़ूअ=विषय , मुक़र्रिर=भाषी ,नदा=ईश्वानी 

مِمبر پہ مداری کو ادا ملتی ہے 
موضوع پہ مقررِر کو صدا ملتی ہے 
رتبہ مرا اِن سب سے ذرا ہٹ کے ہے 
ہم پہنچے ہوؤں کو ہی نِدا ملتی ہے ٠ 

41
बस यूं ही ज़रा पूछ लिया क्यों है खड़ा?
दो चार अदद घूँसे मेरे मुंह जड़ा ,
आई हुई शामत थी, मज़ा चखना था,
सोए हुए कुत्ते पे मेरा पैर पड़ा. 

بس یوں ہی ذرا پونچھ لیا ، کیوں ہو کھڑے ؟
دو چار عدد اُس نے مرے مُنہ پہ جڑے 
آئ ہُوئی شامت تھی ، مزہ چکھنا تھا 
سوۓ ہوئے کُتّے پہ مرے پیر پڑے ٠ 

42
मज़मूम सियासत की फ़ज़ा है पूरी,
हमराह मुनाफ़िक़ हो नहीं मजबूरी, 
ढोता है गुनाहों को, उसे ढोने दो,
इतना ही बहुत है कि रहे कुछ दूरी.
मज़मूम=निंदनीय , मुनाफ़िक़=दोगला 

مذموم  سیاست کی فضا ہے پوری 
ہمراہ منافق ہو ، نہیں مجبوری 
ڈھوتا ہے گناہوں کو ، اسے ڈھونے دو
اتنا ہی بہت ہے کہ رہے کچھ دوری ٠ 

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