Friday, October 12, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 49-51


49

तबअन हूँ मै आज़ाद नहीं क़ैद ओ बंद,
हैं शोख़ी व् संजीदगी, दोनों ही पसंद,
दिल का मेरे, दर दोनों तरफ़ खुलता है,
है शर्त कि दस्तक का हो मेयार बुलंद.
तबअन= स्वाभाविक ,मेयार=अस्तर 

طبعا ہوں میں آزاد ، نہیں قید و بند
ہیں شوخی و سنجیدگی ، دونوں ہی پسند 
دل کا میرے ، در دونوں طرف کھلتا ہے
ہے شرط کہ دستک کا ہو میعار بلند ٠ 

50

अल्लाह उन्हें रख्खे, उनकी क्या बात,
हर वक़्त रहा करते हैं सब से मुहतात,
खाते हैं छील छाल कर रसगुल्ले, 
पीते है उबाल कर मिला आब ए हयात.

الله اُنھیں رکھے ، اُنکی کیا بات 
ہر وقت رہا کرتے ، چوکس ، محتاط 
کھاتے ہیں چھیل پیس کر رسگُللے 
پیتے ہیں اُبال کر، ملا ابِ حیات ٠  

51

फ़िरऔन मिटे, ज़ार ओ सिकंदर टूटे,
अँगरेज़ हटे नाज़ी व् हिटलर टूटे,
इक आलमी गुंडा है उभर कर आया,
अल्लाह करे उसका भी ख़जर टूटे.

فرعون مِٹے ، زار و سِکندر ٹوٹے 
انگریز ہٹے ، نازی و ہِٹلر ٹوٹے 
اِک عالمی غُندہ ہے اُبھر کر آیا
الله کرے اِسکا بھی خنجر ٹوٹے ٠ 

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