Tuesday, April 30, 2019

जुंबिशें - - - नज़्म - क़फ़्से इन्कलाब1


नज़्म 

क़फ़्से इन्कलाब1

हद बंदियों में करके, आज़ाद कर गए,
दी है नजात या फिर, बेदाद२ कर गए.

अरबो, अजम, हरब३ के, दर्जाते-इम्तियाज़4,
अपनों को दूसरों पर, आबाद कर गए.

जिस्मो, दिलों, दिमागों, पर हुक्मराँ हैं वह,
बे बालो पर हमें यूँ , सय्याद५ कर गए.

ज़ेहनो में भर दिया है, इक आख़िरी निज़ाम६,
हर नक्श इर्तेक़ा७ को, बरबाद कर गए.

इंसान चाहता है,  बे ख़ौफ़ ज़िन्दगी,
वह सहमी सी, ससी सी, इरशाद८ कर गए.

इक्कीसवीं सदी में, आया है होश 'मुंकिर',
उनके सभी सितम को, फिर याद कर गए.

१-इन्कलाब का पिंजडा २-जुल्म ३-मुल्कों की इस्लामी श्रेणी ४पदोन का अन्तर
५-आखेटक ६- व्यवस्था ७-रचनात्मक चिन्ह ८-फरमान


 قفسِ انقلاب

حد بندیوں میں کر کے، آزاد کر گئے ہیں 
دی ہے نجات یا پھر ، بیداد کر گئے ہیں ٠

اہل عرب ، عجم پر ، مسکین  ہندیوں پر 
اپنوں کو دوسروں پر ، آباد کر گئے ہیں ٠

جسموں و دل و دماغوں ، پر راج کر رہے ہیں
بے بال و پر ہمیں وہ ، صیاد کر گئے ہیں ٠

ذہنوں میں بھر دیا ہے اک آکری نظام
تصویرِ ارتقائی ، برباد کر گئے ہیں ٠

مفروضہ حادثاتی ، محشر میں  مبتلا ہم 
وہ سہمی زندگی کو ، ارشاد کر گئے ہیں ٠

اِکیسویں صدی میں ، آیا ہے ہوش 'منکر'٠
اُنکے سبھی ستم کو ، ہم یاد کر گئے ہیں ٠  

Monday, April 29, 2019

जुंबिशें - - - ग़ज़लयात


ग़ज़ल 

उफ़! दाम ए मग्फ़िरत1 में, बहुत मुब्तिला था ये,
नादाँ था दिल, तलाशे ख़ुदा में पड़ा था ये.

महरूम रह गया हूँ, मैं छोटे गुनाह से,
किस दर्जा पुर फ़रेब, यक़ीन ए जज़ा2 था ये.

पुर अम्न थी ज़मीन ये, कुछ रोज़ के लिए,
तारीख़ी वाक़ेओं में, बड़ा वक़ेआ का था ये.

मानी सभी थे दफ़्न, समाअत३ की क़ब्र में,
अल्फ़ाज़ ही न पैदा हुए, सानेहा था ये.

हर ऐरे गैरे बुत को, हरम से हटा दिए,
तेरा4 लगा दिया था, कि सब से बड़ा था ये.

'मुंकिर' पड़ा है क़ब्र में, तुम ग़म में हो पड़े,
तिफ़ली5 अदावतों का नतीजा मिला था ये.


 اُف! دام مغفرت میں بہت مبتلا تھا یہ
 ناداں تھا دل، تلاشِ خدا میں پڑا تھا یہ٠ 

محروم رہ گیا ہوں میں جھوٹے گناہوں سے 
کس درجہ پُر فریب یقینِ جزا تھا یہ٠  

پُر امن تھی زمین یہ کچھ روز کے لئے 
تاریخی واقعوں میں بڑا واقعہ تھا یہ٠ 

معانی سبھی تھے دفن ، سماعت کی قبر میں
الفاظ ہی نہ پیدا ہوئے، سانحہ تھا یہ٠ 

ہر عیرے غیرے بُت کو حرم سے ہٹادئے، 
تیرا لگا دیا تھا، کہ سب سے بڑا تھا یہ٠ 

منکر پڑا تھا قبر میں، تم غم میں تھے پڑے 
طِفلی عداوتوں کا نتیجہ ملا تھا یہ٠ 

Sunday, April 28, 2019

जुंबिशें - - - दोहे


दोहे
*
ले कर आपस में लड़ें, दीन धरम का ज्ञान,
इनमे कितना मेल था, जब थे ये अज्ञान.

لیکر آپس میں لڑے ، دین دھرم کے گیان
انمیں کتنا میل تھا ، جب تک تھے اگیان ٠

**
चले जिहादी अरब से, न पहुंचे जापान,
भारत आकर फंस गया, इस्लामी अभियान.

چلے جہادی عرب سے ، نہ پہنچے جاپان 
بھارت آکر پھنس گیا ، اسلامی ابھیان ٠

***

मुल्ला पंडित एक हैं, जनता को लड्वाएं ,
बोएं पेड़ बबूल का, आम मगर ये  खाएँ .

پنڈت مللہ ایک ہیں ، جنتا کو لڑوایں 
بویں پیڑ ببول کا ، ام مگر یہ کھایں ٠
****

'मुनकिर' मत दे भीख तू , इसका बदतर अंजाम,
विकलांगों पर कर करम , दे कुछ इनको काम.

'منکر' مت دے بھیکھ تو ، اسکا بد تر انجام '
وکلانگوں پر کر کرم  ، دے کچھ انکو کام ٠

*****

ससुरी माया जाल को, सर पे लिया है लाद, 
अपने दुश्मन हो गए, रख कर ये बुन्याद. 

سسری مایا جال کو، سر پہ لیا ہے لاد 
اپنے دشمن بن گئے ، رکھ کے یہ بنیاد ٠
******

हिन्दू मुलिम लड़ मरे, मरे रज़ा और भीम, 
सुलभ तमाशा बैठ के, देखें राम रहीम. 

ہندو مسلم لڑ مرے ، مرے رضا اور بھیم 
سلبہ تماشہ بیٹھ کے دیکھیں رام رحیم ٠ 
________________

Friday, April 26, 2019

जुंबिशें - - - मुस्कुराहटें

मुस्कुराहटें 

सफ़ैदी 

दाढ़ी है सन सफ़ैद औ मोछा सफ़ैद है,
धोती निरी  सफ़ैद औ कुरता सफ़ैद है,
नेता की टोपी जूता औ मोज़ा सफ़ैद है,
देख सखी झूट औ कितना  सफ़ैद है.

سفید جھوٹ 
داڑھی ہے سن سفید، او موچھا سفید ہے 
دھوتی نری سفید، او کرتا سفید ہے  
نیتا کی ٹوپی، جوتا و موجہ سفید ہے 
دیکھ سکھی ! جھوٹ، او کتنا سفید ہے ٠ 

Thursday, April 25, 2019

जुंबिशें - - - क़तआत


 क़तआत
बांग ए नव 

रुख़ पे सूरज के चलो, साए को पीछे छोड़ो,
अपनी परछाईं से खेलो न, ज़रा मुंह मोड़ो,
न बदलने की क़सम खाई है, इसको तोड़ो,
नव सदी के नए पैग़ाम से रिश्ता जोड़ो.

رہنمائی

رُخ پہ سورج کے چلو ، ساۓ کو پیچھے چھوڑو 
اپنی پرچھائیں سے کھیلونہ ، ذرا مُنہہ موڑو 
نہ بدلنے کی قسم کھائی ہے ، اسکو توڑو 
نو صدی کے نیے پیغام ، سے رشتہ جوڑو ٠ 

*
बार ए ज़मीं 

हाथों में हैं दुआओं के कंगन जड़े हुए,
ये फावड़े कुदाल हैं, बेजाँ पड़े हुए,
क़हहारी और रहीमी की बेडी है पाँव में,
दिल में हैं खौ़फ़ व् ऐश के शैताँ खड़े हुए.

زمیں کے بوجھ

ہاتھوں میں ہیں دعا وں کے کنگن جڑے ہوئے 
یہ پھاوڑے کدل ہیں ، بے جاں پڑے ہوئے 
قہہاری اور رحیمی کی ، بیڑی ہے پانو میں 
دل میں ہیں خوف و عیش کے ، شیطاں کھڑے ہوئے ٠ 


मौत के राग 

तबलीग़ है कि मौत को हर वक़्त याद कर,
मैं कहता हूँ कि मौत की कोई ख़बर न रख,
इक लम्हा मौत का है, मुसलसल है ज़िंदगी,
हर रोज़ खुद सरी हो, तो हर रोज़ बे सरी.
तबलीग़=प्रचार 
*
زندگی بنام موت

تبلیغ ہے کہ موت کو ہر وقت یاد کر 
میں کہتا ہوں کہ موت کی ،  کوئی نہ ہو خبر
اک لمحہ موت کا ہے ، مسلسل ہے زندگی 
ہر روز خود سری ہو ، تو ہر شب ہو بے سری ٠ 

Wednesday, April 24, 2019

जुंबिशें - - - रुबाइयात


रुबाइयात
मज़हब है रहे गुम पे, दिशा हीन धरम हैं,
आपस में दया भाव नहीं है, न करम हैं,
तलवार, धनुष बाण उठाए दोनों,
मानव के लिए पीड़ा हैं, इंसान के ग़म हैं.

مذہب ہے رہِ گُم پہ ، دِشا ہین دھرم 
آپس میں دَیا بھاؤ نہیں ہے ، نہ کرم 
تلوار ، دھنُش بان ، اُٹھاۓ دونو 
مانَو کے لئے پیڑا ہیں ، اِنسان کے غم ٠ 
**
सच्चे को बसद शान ही, बन्ने न दिया
बस साहिबे ईमान ही, बन्ने न दिया
पैदा होते ही कानों में, फूँक दिया झूट
इंसान को इंसान ही, बन्ने न दिया.
बसद=१००%

بچّے کو بصد شان ہی بننے نہ دیا 
بس صاحب ایمان ہی بننے نہ دیا 
پیدا ہوتے ہی کان میں پھونک دیا جھوٹ 
اِنسان کو اِنسان ہی بننے نہ دیا .

***

ये लाडले, प्यारे, ये दुलारे मज़हब,
धरती पे घनी रात हैं, सारे मज़हब,
मंसूर हों, तबरेज़ हों, या फिर सरमद,
इन्सान को हर हाल में, मारे मज़हब.

یہ لاڈلے پیارے ، یہ دُلارے مذہب 
دھرتی پہ گھنے رات ہیں سارے مذہب 
منصور ہوں ، تبریز ہوں یا پھر سرمد 
انسان کو ہر حال میں مارے مذہب .

Monday, April 22, 2019

जुंबिशें - - - सना


सना1

तूने सूरज चाँद बनाया, होगा हम से क्या मतलब,
तूने तारों को चमकाया, होगा हम से क्या मतलब,
तूने बादल को बरसाया, होगा हम से क्या मतलब,
तूने फूलों को महकाया, होगा हम से क्या मतलब।

तूने क्यूं बीमारी दी है, तू ने क्यूं आज़ारी दी?
तूने क्यूं मजबूरी दी है, तूने क्यूं लाचारी दी?
तूने क्यूं महकूमी१ दी है, तूने क्यूं सालारी२ दी?
तूने क्यूं अय्यारी दी है, तूने क्यूं मक्कारी दी?

तूने क्यूं आमाल३ बनाए, तूने क्यूं तक़दीर गढ़ा?
तूने क्यूं आज़ाद तबअ४ दी, तूने क्यूं ज़ंजीर गढ़ा?
ज़न, ज़र, मय५ में लज़्ज़त देकर, उसमें फिर तक़सीर६ गढ़ा,
सुम्मुम,बुक्मुम,उमयुन७ कहके, तअनो की तक़रीर८ गढ़ा.

बअज़ आए तेरी राहों से, हिकमत तू वापस लेले,
बहुत कसी हैं तेरी बाहें, चाहत तू वापस लेले,
काफ़िर, 'मुंकिर' से थोडी सी नफ़रत तू वापस लेले,
दोज़ख़ में तू आग लगा दे, जन्नत तू वापस लेले.

शीर्षक =ईश-गान १-आधीनता २-सेनाधिकार ३-स्वछंदता ५-सुंदरी,धन,सुरा,६-अपराध ७-अल्लाह 8-क़ुसूर 
अपनी बात न मानने वालों को गूंगे,बहरे और अंधे कह कर मना करता है कि मत समझो इनको,इनकी समझ में न आएगा 

ثنا 

تو نے سورج چاند بنایا ، ہوگا ! ہم سے کیا مطلب 
تو نے تاروں کو چمکایا ، ہوگا ! ہم سے کیا مطلب 
تو نے بادل کو برسایا ، ہوگا ! ہم سے کیا مطلب 
تو نے پھولوں کو مہکایا ، ہوگا ! ہم سے کیا مرلب ٠

تو نے کیوں بیماری دی ہے ، تونے کیوں آزاری دی ؟
تو نے کیوں مجبوری دی ہے ، تو نے کیوں لاچاری دی ؟
تو نے کیوں محکومی دی ہے ، تو نے کیوں سالاری دی ؟
تو نے کیوں مکّاری دی ہے ، تو نے کیوں عیاری دی ؟

تو نے کیوں اعمال بناۓ ، تونے کیوں تقدیر گڑھی ؟
تو نے کیوں آزاد طبع دی ، تو نے کیوں زنجیر گڑھی ؟
زن زر مئے میں لذّت دیکر ، اس میں کیوں تقصیر گڑھی ؟
سُممُم بُکمُم اُمیُن کہکے ، تعنوں کی تقریر گڑھی ؟

بازآ ے تیری تکڑم سے ، حکمت تو واپس لیلے 
بہت کسی ہیں تیرے باہیں ،چاہت تو واپس لیلے 
کافر منکر مشرق سے، نفرت تو واپس لیلے 
دوزخ کو تو آگ لگا دے ، جنّت تو واپس لیلے ٠ 

Sunday, April 21, 2019

जुंबिशे - - - ग़ज़ल


ग़ज़ल 

तेरे मुबाहिसों का,ये लब्बो लुबाब है,
रुस्वाए हश्र* हैं सभी, तू कामयाब है.

आंखों पे है यक़ीन, न कानों पे एतबार,
सदियों से क़ौम आला$, ज़रा मह्व ए ख़्वाब है.  

दुन्या समर भी पाए, जो चूसो ज़मीं का ख़ून,
जज़्बा ज़मीं का है, तो यह हरकत सवाब है. 

अफ़सोस मैं किसी की, समाअत3 न बन सका,
चारो तरफ़ ही मेरे, सवालो जवाब है.

पुरसाने हाल बन के, मेरे दिल को मत दुखा,
मुझ में संभलने, उठने और चलने की ताब है.

दर परदा ए ख़ुलूस, कहीं सांप है छिपा,
'मुंकिर' है बूए ज़हर, यह कैसी शराब है.

रुस्वाए हश्र *=प्रलय के पापी $=इशारा मुसलमान ३-श्रवण शक्ति

تیرے مباحثوں کا یہ لب و لُباب ہے 
رُسواے حشر ہیں سبھی، تو کامیاب ہے٠ 

آنکھوں پہ ہے یقین، نہ کانوں پہ اعتبار 
صدیوں سے قومِ آلہ، ذرا محوِ خواب ہے٠ 

دنیا ثمر بھی پاۓ، جو چوسو زمین کا خون  
جزبہ شجر کا ہے، تو یہ حرکت ثواب ہے٠ 

افسوس میں کسی کا سماعت نہ بن سکا
چارو طرف ہی میرے، سوال و جواب ہے٠ 

پُرسا ن حال بن کے میرے دل کو مت دُکھا 
مجھ میں سنبھلنے،اٹھنے، سنورنے کی تاب٠ 

در پردہ خُلوص کہیں سانپ چھپا ہے 
منکر ہے بوۓ زہر، یہ کیسی شراب ہے٠ 

Friday, April 19, 2019

दोहे दोहे

दोहे 
गति से दुरगत होत है, गति से गत भर मान,
गति की लागत कुछ नहीं, गति के मूल महान।

گتی سے درگت ہوت ہے ، گتی سے گت بھر ماں 
گتی کی لاگت کچھ نہیں ، گتی کے مول مہان ٠
**

काहे हंगामा करे, रोए ज़ारो-क़तार,
आंसू के दो बूँद बहुत हैं, पलक भिगोले यार।

  کاہے ہنگامہ کرے ، روۓ زار و قطار 
آنسو کے دو بوند ہی ، پلک بھگویں یآڑ٠
***

मन को इतना मार मत , मर जाएँ अरमान ,
अरमानों के जाल में, मत दे अपनी जान 

من کو اتنا مار مت ، مر جایں ارمان 
ارمانوں کے جال میں مت دے اپنی جان 
****
चित को क़ैदी कर गई , लोहे की दीवार 
बड़ी तिजोरी में छिपी , दौलत की अंबार .

اس کو قیدی کر گئی ، لوہے کی دیوار 
بڑی تجوری میں چھپی ، دولت کی انبار ٠ 

*****
आओ पडोसी लड़ मरें हो उनका उद्धार ,
बड़े देश सब बेच लें काई लगे हथियार .
آؤ پڑوسی لڑ مریں ، انکا ہو ادھار 
بڑے  دیش سب بیچ  لیں، کائی لگے ہتھیار ٠

******

अम्रीका योरोप हैं जगे, जगे चीन जापान,
दीन धरम की नींद में, पड़ा है हिन्दुस्तान.

امریکہ یوروپ جگے ، جگا چین جاپان 
دین دھرم کی نیند میں ، پڑا ہے ہندوتان ٠

Thursday, April 18, 2019

मुस्कुराहटें


मुस्कुराहटें
1
डर डरा डर डर, डर डर डर 

है बाढ़ का, क़हत का, बड़े ज़लज़ला का डर,
पर्यावरण से दूषित, आबो-हवा का डर,
है कैंसर से, एड्स से, सब को फ़ना का डर,
राहों पे चलते फिरते, किसी हादसा का डर,
साँपों का, बिछुओं का, मुए भेड़िया का डर,
नेता, पुलिस, लुटेरे, गुरू, माफ़िया का डर,
इन सब से बच बचा के भी, बाकी बचा डर, 
शैतान, भूत, जिन्न ओ मलायक, खुदा का डर. 

ڈر ڈرا ڈر، ڈرڈرڈر 

ہے باڑھ کا ، قحط کا ، بڑے زلزلہ کا ڈر 
آلودگی میں ڈوبی ہوئی ، اب و ہوا کا ڈر
ہے کینسر سے ، ایڈس سے، برھتی قضا کا ڈر 
راہوں پہ چلتے پھرتے ، کسی حادثہ کا دار 
سانپوں کا ،بچھوؤں کا ، موے بھیڑیا کا ڈر 
نیتا ، پولیس ، لٹیرے ، گرو ، مافیہ کا ڈر 
ان سب سے بچ بچا کے، ابھی باقی بچا ہے 
شیطان و بھوت و جن و ملایک ، خدا کا ڈر ٠ 
*

Wednesday, April 17, 2019

क़तआत


क़तआत

वहमों के क़ैदी 
कुछ लोग ख़ुद में पाले हैं इक ऐसा जानवर,
हर वक़्त ख़ुद इन्हें ही जो घायल किया करे,
दिखला के सींग इनको सवाब ओ अज़ाब की,
कर जुंबिश ए हयात पे क़ायल किया करे.

وہموں کے قیدی 
کچھ لوگ خود میں پالے ہیں اک ایسا جانور 
ہر وقت خود انہیں ہی جو گھائل کیا کرے، 
دکھلا کے سینگ انکو ثواب و عذاب کی
ہر جنبشِ حیات پہ قائل کیا کرے٠ 


ग़ालिब ओ मग़लूब 

"नो दाई सेल्फ"कहता है बेदार मग़रिबी 
जिसको कि अहं कहता है, सोया ये मशरिक़ी
अंजाम कार दोनों की तारीख़ें देखिए
मग़रिब रहा सवार तो मशरिक़ सुपुरदगी. 
मग़रिबी=पश्चिमी , मशरिक़=पूरब 

غالب و مغلوب

نو دائی سلف، کہتا ہے ، بیدار مغربی 
جسکوکہ 'اہم' کہتا ہے ، سویا یہ مشرقی 
انجام کار دونوں کے تاریخیں دیکھئے 
مغرب بنا سوار ، تو مشرق سُپُردگی٠  


आक़बत के ताजिर 

ये दस्त ए नफ्स में बे ख़ाहिशी की ज़ंजीरें,
ये नीम ख़ुद कुशी में आक़बत की तदबीरें,
ख़ुदा के साथ ताल्लुक़ ये ताजिराना है,
अजब है तर्क ए तअल्लुक़ बग़रज़ जागीरें. 
दस्त ए नफ्स =रूह के हाथों , आक़बत=अंत 

عاقبت کے تاجر 

یہ دستِ نفس میں، بے خواہشی کی زنجیریں 
یہ نیم خود کشی میں، عاقبت کی تدبیریں 
خدا کے ساتھ تعلّق یہ تاجرانہ ہے
عجب ہے ترکِ تعیّش ، بغرض جاگیریں٠  

Tuesday, April 16, 2019

रुबाईयां


रुबाईयां

सद बुद्धि दे उसको तू , निराले भगवान,
अपना ही किया करता है, कौदम नुक़सान,
नफ़रत है उसे, सारे मुसलमानों से,
पक्का हिन्दू है, वह कच्चा इंसान.
कौदम=मूर्ख

سد بُددھی دے اُسکو ، تو نِرالے بھگوان 
اپنا ہی کیا کرتا ہے کودم نقصان 
نفرت ہے اُسے ، سارے مسلمانوں سے 
پکّا ہندو ہے ، وہ کچّا انسان ٠


इंसान नहीफ़ों को, दवा देते है,
हैवान नहीफ़ों को, मिटा देते हैं,
हैं कौन समझदार, यहाँ दोनों में?
कुछ देर ठहर जाओ, बता देते हैं.
नहीफों =कमजोरों
اِن
سان نحیفوں کو دوا دیتے ہیں 
حیوان نحیفوں کو مِٹا دیتے ہیں 
ہے کون سمجھدار یہاں دونوں میں ؟
کُچھ دیر ٹھہر جاؤ ، بتا دیتے ہیں ٠ 


काफ़िर है न मोमिन, न कोई शैताँ  है,
हर रूप में, हर रंग में, बस इंसाँ है,
मज़हब ने, धर्म ने, किया छीछा लेदर,
बेहतर है मुअतक़िद* नहीं जो हैवाँ  है.
*आस्थावान

کافر ہے ، نہ مسلم ، نہ کوئی شیطاں ہے 
ہر روپ میں ہر رنگ میں ، بس انساں ہے
مذہب نے ، دھرم نے ، کیا چھیچھ لیدر 
بہتر ہے ، معتقد نہیں جو حیواں ہے ٠ 


Monday, April 15, 2019

नज़्म बनाम शरीफ़ दोस्त


*
नज़्म 
बनाम शरीफ़ दोस्त

तू जग चुका है और, इबादत गुज़ार1 है,
सोए हुए खुदाओं की, तुझ पे मार है.

दैरो हरम२ के सम्त३, बढ़ाता है क्यूं क़दम?
डरता है तू समाज से? शैतां सवार है.

इस इल्मे वाहियात4 को तुर्बत5 में गाड़ दे,
अरबों की दास्तान, समाअत6 पे बार है.

हम से जो मज़हबों ने लिया, सब ही नक़्द था,
बदले में जो दिया है, सभी कुछ उधार है.

खाकर उठा है, दोनों तरफ़ की तू ठोकरें,
पत्थर से आदमी की, ज़रा ज़ोरदार है.

तहज़ीब चाहती है, बग़ावत के अज़्म७ को,
तलवारे-वक्त देख ज़रा, कितनी धार है.

जिनको है रोशनी से, नहाना ही कशमकश,
उनके लिए यह रोशनी, भी दूर पार है.

'मुंकिर' के साथ आ, तो संवर जाए यह जहाँ,
ग़लती से यह समाज, ख़ता का शिकार है.

१-उपासक २-मन्दिर और काबा ३-तरफ़ ४-ब्यर्थ -ज्ञान ५-समाधी 6श्रवण- शक्ति ८-उत्साह

بنام شریف دوست

تُو جگ چکا ہے اور عبادت گُزار ہے٠
سوۓ ہُوۓ خُدا کی ، یہ تُجھ پہ مار ہے ٠

دیر و حرم کے سمت بڑھاتا ہے کیوں قدم 
ڈرتا ہے تو سماج سے، شیطاں سوار ہے ؟ 

مذہب کے علم خاک کو، تُربت میں گاڑ دے 
اربوں کی داستان ، سماعت پہ بار ہے ٠

ہم سے جو مذہبوں نے لیا ، سب ہی نقد تھا 
بدلے میں جو دیا ہے ، سبھی کُچھ ادھار ہے ٠

جنکو ہے روشنی میں نہانا ہی کشمکش
اُنکے لئے یہ روشنی بھی دور پار ہے٠  

منکر کے ساتھ آ تو سنور جاۓ یہ جہاں 
غلطی سے یہ سماج خطا کا شکار ہے ٠ 


Sunday, April 14, 2019

जुंबिशें - - - ग़ज़ल


*
ग़ज़ल 

अगर ख़ुद को समझ पाओ, तो ख़ुद अपने ख़ुदा हो तुम,
कहाँ किन किन के बतलाए हुओं में, मुब्तिला हो तुम.

है अपने आप में ही खींचा-तानी, तुम लड़ोगे क्या ?
इकट्ठा कर लो ख़ुद को, मुन्तशिर हो, जा बजा1 हो तुम.

मरे माज़ी2 का अपने, ऐ ढिंढोरा पीटने वालो!
बहुत शर्मिन्दा है ये हाल, जिस के सानेहा3 हो तुम.

तुम अपने ज़हर के सौग़ात को, वापस ही ले जाओ,
कहाँ इतने बड़े हो? तोह्फ़ा दो, मुझ को, गदा4 हो तुम.

फ़लक  पर आक़बत 5 की, खेतियों को जोतने वालो,
ज़मीं कहती है इस पर एक, दाग़े बद नुमा हो तुम.

चलो वीराने में 'मुंकिर' कि फ़ुर्सत हो ख़ुदाओं से,
बहुत मुमकिन है मिल जाए ख़ुदाई भी, बजा हो तुम.

१-बिखरे हुए २-अतीत ३-विडम्बना ४-भिखरी ५-परलोक

اگر خود کو سمجھ پاؤ، تو خود اپنے خدا ہو تم، 
کہاں کن کن کے بتلاۓ ہوؤں میں، مبتلا ہو تو٠ 

ہے اپنے آپ میں ہی کھینچا تانی، تم لڑوگے کیا، 
اکٹّھا کر لو خود کو، منتشر ہو جا بجا ہو تو. 

مَرے ماضی کا اپنے، ائے ڈھنڈھو را پیٹنے والو! 
بہت شرمندہ ہے یہ حال، جس کا سانحہ ہو تو٠ 

تم اپنے زہر کے سوغات کو واپس ہی لے جاؤ،  
کہاں اتنے بڑے ہو، تحفه دو، مجھ کو، گدا ہو تو٠ 

فلک پر عاقبت کی کھیتیوں کو جوتنے والو! 
زمیں کہتی ہے اس پہ ایک داغِ بدنما ہو تو٠ 

 چلو ویرانے میں منکر کہ فرصت ہو خداؤں سے، 
بہت ممکن ہے مل جاۓ خدائی ہی، بجا ہو تو٠

Friday, April 12, 2019

ग़ज़ल

ग़ज़ल 

हैं मसअले ज़मीनी, हलहाए आसमानी,
नीचे से बेख़बर है, ऊपर की लन तरानी.

फ़रमान सीधे सादे, पुर पेच तर्जुमानी,
उफ़! क़ूवते समाअत* उफ़! हद्दे बे ज़ुबानी.

ना जेबा तसल्लुत1 है, बेजा यक़ीं दहानी2,
ख़ुद बन गई है दुन्या, या कोई इसका बानी.

मैं सच को ढो रहा था, तुम क़ब्र खोदते थे,
आख़िर ज़मीं ने उगले, सच्चाइयों के मअनी.

कर लूँ शिकार तेरा, या तू मुझे करेगा,
बन जा तू ईं जहानी3, या बन जा आँ जहानी4.

ईमान ए अस्ल शायद, तस्लीम का चुका है,
वह आग आग हस्ती, "मुंकिर" है पानी पानी.

* श्रवण-शक्ति १-लदान २-विशवास दिलाना ३-इस जहान के ४-उस जहान के

ہیں مسئلے زمینی، حل ہاۓ آسمانی 
نیچے سے بے خبر ہے، اوپر کی لَن ترانی٠ 

فرمان سیدھے سادے، پر پیچ ترجُمانی
اُف قووت سماعت، اُف حدِ بے زبانی٠ 

نا زیبہ تسلّط ہے، بے جہ یقیں دہانی 
خود بن گئی ہے دُنیا، یا کوئی اِسکا بانی٠ 

میں سچ کو ڈھو رہا تھا، تم قبر کھودتے تھے 
آخر زمیں نے اُگلے، سچائیوں کے معنی٠ 

کر لووں شکار تیرا، یا تو مجھے کریگا؟ 
بن جا تو ایں جہانی، یا بن جا آں جہانی ٠ 

ایمانِ اصل شاید تسلیم کر چکا ہے 
وہ آگ آگ ہستی منکر ہے پانی پانی٠ 

Thursday, April 11, 2019

रुबाइयाँ


रुबाइयाँ
नाख़्वानदा व् जाहिल में बचेगा मज़हब,
नाकारा व् काहिल में बचेगा मज़हब,
बेदारों के कब्जे में समंदर होगा,
सीपी भरे साहिल पे बचेगा मज़हब.

نا خواندہ و جاہل میں بچینگے مذہب 
نا کارہ و کاحل میں بچینگے مذہب
بیداروں کے قبضے میں سمندر ہوگا 
سیپی بھرے ساحل بچینگے مذہب.

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हिस्सा है खिज़र का इसे झटके क्यों हो?
आगे भी बढ़ो राह में अटके क्यों हो ?
टपको कि बहुत तुम ने बहारें देखीं,
पक कर भी अभी डाल में अटके क्यों हो.

حصّہ ہے خضر کا، اسے جھٹکے کیوں ہو 
آگے بھی بڑھو ، راہ میں اٹکے کتوں ہو 
تپکو کہ بہت تھمنے بہاریں دیکھیں 
پک کر بھی ابھی ڈال میں اٹکے کیوں ہو 

***

दिल नदा व् इल्हाम से मुड़ जाता है
हक़ सनाशियों से वह जुड़ जाता है
देख कर यह पामाली ए सर ए इंसानी
मुनकिर का दिमाग़ भक से उड़ जाता है.

دل ندا و الہام سے مڑ جاتا ہے 
حق سناشیوں سے وہ جڑ جاتا ہے 
دیکھ کر یہ پامالی ے سرِ انسان 
منکر کا دماغ بہک سے اڑ جاتا ہے ٠ 

Wednesday, April 10, 2019

कतआत


कतआत
ज़ीने बज़ीने 

जो छोड़ के बरेली को पहुँचे हैं देवबंद,
क़िस्तों में कर रहे हैं वह तब्दीलियाँ पसंद,
बस थोड़े फ़ासले पे है इंसानियत की राह,
करते रहें सफ़र कि रहे हौसला बुलंद.

زینہ نزینہ

وہ چھوڑ کے بریلی کو پہنچے ہیں دیو بند 
قسطوں میں کر رہے ہیں تبدیلیاں پسند 
بس تھوڑے فاصلے پہ ہے انسانیت کی راہ 
کرتے رہیں سفر ، کہ رہے حوصلہ بلند ٠

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वादा तलब 

नाज़ ओ अदा पे मेरे न कुछ दाद दीजिए,
मत हीरे मोतियों से मुझे लाद दीजिए,
हाँ इक महा पुरुष की है, धरती को आरज़ू,
मेरे हमल को ऐसी इक औलाद दीजिए.
हमल=कोख 

ایک ماں کی آرزو

ناز و ادا پہ میرے نہ کچھ داد دیجئے 
مت ہیرے موتیوں سے مجھے لاد دیجئے 
ہاں ! اک "مہا پروش " کی ہے دھرتی کو آرزو 
میرے شکم سے ایسی ، اک اولاد دیجئے ٠

***
काश 

तोहफ़ा पाने का हसीं एहसास होती ज़िंदगी,
ज़िंदा रहने के लिए यूँ रास होती ज़िंदगी,
नब्ज़ मंडलाती न हरदम यूँ बक़ा के वास्ते,
धड़कने होतीं न, पैहम सास होती ज़िंदगी.
बक़ा=स्तित्व , पैहम=लगातार 

کاش  
تحفہ پانے کا حسیں ، احساس ہوتی زدگی 
زندہ رہنے کے لئے ، یوں راس ہوتی زندگی 
نفس منڈلاتی نہ ہردم یوں ، بقا کے واسطے 
دھڑکنیں ہوتیں ، نہ پیہم سانس ہوتی زندگی ٠ 

Tuesday, April 9, 2019

शकर पारे



नज्में
शकर पारे 
आओ कुछ सच्ची इबारत पढ़ लें,
सतः पर तैरें न, गहरे डूबें,
दिल में गूंगे से पड़े, दिल बोलें,
कानों की बहरी समाअत1जागें.

जुन्बिशें लब की खुली आँख चुनें,
हम दलीलों के फटे होंट सिएँ,
तन में बैठा है नया मन, ढूँढें,
जश्त2 इक लेके, बुलंदी को छुएँ.

दिल अगर चाहे तो नाचें गाएं,
इन से उनसे न कभी शर्माएं,
साथ पागल के कभी बौराएँ,
खोखले पन को ख़ला भर पाएं.

हम अकेले हैं कितने खुद देखें,
फिर ज़माने से अपना हिस्सा लें,
ना मुनासिब है कि छीने झपटें,
बाक़ी औरों के लिए रहने दें.

1 श्रवण शक्ति 2 छलांग 

شکر پارے 

آؤ کچھ سچی عبارت دیکھیں 
سطح پر تیریں نہ گہرے ڈوبیں 
دل میں خاموشی پئے دل بولیں 
کانوں میں سوئی ہوئی حس جاگیں ٠

جنبش لب کو ، کھلی آنکھ چنیں 
ہم دلیلوں کے پھٹے ہونٹ سیں 
تن میں بیٹھا ہے بھلا من ، ڈھونڈھیں 
جست اک لیکے ، بلندی کو چھیں ٠

دل اگر چاہے تو ، ناچیں گاہیں 
ان سے ان سے نہ کبھی شرما یں 
ساتھ پاگل کے کبھی بورایں 
کھوکھلے پن کی خلا بھر جایں ٠

ہم اکیلے ہیں اسے خود سمجھیں 
اپنے حق بھر کو ہی تسلیم کریں 
نہ مناسب ہے کہ چھینیں جھپٹیں 
باقی اوروں کے لئے رہنے دن ٠

آؤ کچھ سچی عبارت دیکھیں 
سطح پر تیریں نہ گہرے ڈوبن ٠ 

Monday, April 8, 2019

जुंबिशें - - - दोहे


दोहे 
पानी की कल कल सुने, सुन ले राग बयार।
ईश्वर वाणी है यही, अल्ला की गुफ्तार॥

پانی کی کل کل سنے ، سن لے راگ بیار 
وہیی ندا اور ایش کی ، وانی یہی ہے یار ٠

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अल्ला को तू भूल जा , मत कर उसका ध्यान ,
अल्ला की मख्लूक़ का , पहले हो कल्यान .

الله کو تو بھول جا ، مت کر اسکا دھیان 
الله کی مخلوق کا پہلے کر کلیاں .
***

पाकर आपस में लड़े, दीन धरम का ज्ञान ,
इनमें कितना मेल था , जब थे अज्ञान .

پاکر آپس میں لڑے دین دھرم کا گیان 
ان میں کتنا مل تھا جب تھے یہ اگیاں .

Sunday, April 7, 2019

नज़्म बड़ा सलाम


नज़्म
बड़ा सलाम

ज़िंदगी इतनी क़ीमती भी नहीं,
यार कि, जितना तुम समझते हो.
यह रवायत1 के नज़्र होती है,
आधी जगती है, आधी सोती है.

तन का ढकना, है पेट का भरना,
धर्म ओ मज़हब की घास को चरना.
यह कभी क़र्ब२ से गुज़रती है,
कभी काटे नहीं, ये कटती है.

इसका अपना कोई निशाना हो,
ज़िन्दगी जश्न हो, तराना हो.
इसको मौके पे, काम आने दो,
जंगे-हक़३ पर, महाज़४ पाने दो.

इसका अंजाम, बालातर५ आए,
आख़िरी वक़्त में निखर जाए.
सच एलान कर के मर जाओ,
आख़िरी वक़्त में संवर जाओ.

मियाँ 'मुंकिर'! ज़रा सा काम करो,
ज़िंदगी को बड़ा सलाम करो.

१-कही सुनी बातें २-पीडा ३-सच्ची लडाई ४-मोर्चा ५-श्रेष्ट

 برا سلا م 
زندگی اتنی قیمتی بھی نہیں
یار کہ جتنا تم سمجھتے ہو
یہ روایت کے نذر ہوتی ہے
دن کو جگتی ہے رات سوتی ہے
تن کو ڈھکنا ہے ، پیٹ بھرنا ہے
دین دھرموں کی گھاس چرنا ہے
یہ سسکتے ہوئے گزرتی ہے
کبھی کاٹے نہیں یہ کاٹتی ہے ٠

 اسکا اپنا کوئی نشانہ ہو
زندگی جشن ہو ترانہ ہو
اسکو موقع پہ کام آنے دو
جنگ حق کا پیام پانے دو
اسکا انجام بالا تر آے
آخری وقت میں نکھر جاۓ
سچ کا اعلان کر کے مر جاؤ  
آخری وقت میں سنوار جاؤ 
میاں 'منکر' ذرا سا کام کرو
زندگی کو برا سلا م کرو ٠ 


Friday, April 5, 2019

जुंबिशें - - - ग़ज़ल तअलीम नई जेह्ल1 मिटाने पे तुली है,


ग़ज़ल 

तअलीम नई जेह्ल1 मिटाने पे तुली है,
रूहानी वबा२ है, कि लुभाने पे तुली है.

बेदार शरीअत3 की ज़रूरत है ज़मीं को,
अफ़लाक4 की लोरी ये सुलाने पे तुली है.

जो तोड़ सकेगा, वो बनाएगा नया घर,
तरकीबे रफ़ू, उम्र बिताने पे तुली है.

वह कौन है लोगों की जमाअत कि ज़मीं पर ,
बस ज़िन्दगी का जश्न, मनाने पे तुली है.

मैं इल्म की दौलत को, जुटाने पे तुला हूँ,
क़ीमत को मेरी भीड़, घटाने पे तुली है.

'मुंकिर' की तराज़ू पे, अनल हक़5 वज़न है,
"जुंबिश"है कि तस्बीह के दाने पे तुली है.

१-अंध विशवास २-आध्यात्मिक रोग ३-बेदार शरीअत=जगी हुई नियमावली ४-आकाश ५- मैं ख़ुदा हूँ 


تعلیم نئی جہل مٹانے پہ تُلی ہے 
روحانی وبا ہے کہ لُبھانے پہ تُلی ہے٠ 

جو توڑ سکےگا وہ بناۓ گا نیا گھر 
ترکیبِ رفو عمر بتانے پہ تُلی ہے. 

بیدار شریعت کی ضرورت ہے زمیں کو 
 کی یہ لوری سُلانے پہ تُلی ہے٠ افلاک

وہ کون ہے لوگوں جماعت کہ زمیں پر 
بس زندگی کا جشن منانے پہ تُلی ہے٠ 

میں علم کی دولت کو جُٹانے پہ تُلا ھوں 
قیمت کو میری بھیڑ گھٹانے پہ تُلی ہے٠ 

منکر کے ترازو پہ انلحق کا وزن ہے 
جنبش ہے کہ تصبیح کے دانے پہ تُلی ہے٠

Thursday, April 4, 2019

जुंबिशें - - - क़तआत


मिनी नज़्में
बंधक
ऋण के गाहक बन बैठे हो,
शून्य के साधक बन बैठे हो,
किस से मोक्ष और कैसी मोक्ष,
ख़ुद में बंधक बन बैठे हो.

 بندھک
رِن کے گاہک بن بیٹھے ہو 
شونیہ کے سادھک بن بیٹھے ہو 
کس سے مُکتی، کیسی موکچه ؟ 
خود میں بندھک بن بیٹھے ہو ٠ 
**
शोधन 
मेरे सच का विरोध करते हैं,
ईश वाणी पे शोध करते हैं,
फिर वह लाते हैं भाग्य का शोधन,
नासतिक पर क्रोध करते हैं.

شودھن 
میرے سچ کا وِرودھ کرتے ہیں
ایش وانی پہ شودھ کرتے ہے 
پھر وہ لاتے ہیں بھاگیہ کا شودھن 
ناستک پر کرودھ کرتے ہیں ٠ 
***

ढांचों के ढेंचू
दो सोलहवीं सदी के बहादुर थके हुए,
रक्तों की स्वाद, खून की लज़्ज़त चखे हुए,
फ़िर से हुए हैं दस्त व् गरीबां यह सींगदार,
इतिहास की ग़लाज़तें सर पर रखे हुए,
दस्तो-गरीबां =युद्धरत 

ڈھانچوں کے ڈھینچو
 دو سولویں صدی کے بہادر تھکے ہوئے 
رکتوں کا سواد ، خون کی لذّت چکھے ہوئے
پھر سے ہوئے ہیں دست و گریباں ، یہ سینگ دار 
تاریخ کی غلاظتیں سر پہ رکھے ہوئے ٠