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औक़ात बदलते हैं, बदलतीं सूरत,
अहकाम इलाही में हो कैसे हुज्जत,
खैरात, ज़कात, फ़ितरा तब किसको दें,
जब हों सभी खुश, सभी बा गैरत.
अहकाम इलाही =ईशादेश
اوقات بدلتے ہیں ، بدلتی صورت
احکام الہی میں ہو کیسے حجّت
خیرات زکات فطرہ ، تب کس کودیں ؟
جب ہوں سبھی خوش حال ، سبھی با غیرت ٠
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किस बात पे यूँ गाना बजाना छोड़ा,
नाराज़ हुए, आब व् दाना छोड़ा,
कुछ सुनने सुनाने की क़सम भी खाली,
इक हिचकी ली और सारा ज़माना छोड़ा.
کیا بات ہوئی ، گانا بجانا چھوڑا
ناراض ہوئے ، آب و دانہ چھوڑا
کچھ سننے سنانے کی قسم بھی کھا لی
اک ہچکی لیا ، اور زمانہ چھوڑا ٠
99
आवाज़ मुझे आख़िरी देकर न गए,
आवाज़ मेरी आख़िरी लेकर न गए,
बस चलते चलाते ही जहाँ छोड़ दिया,
अफ़सोस कि समझा के, समझ कर न गए.
آواز مجھے آخری دیکر نہ گئے
آواز مری آخری لیکر نہ گئے
آئ ہے خبر تم نے جہاں چھوڑ دیا
افسوس کہ سمجھا کے ، سمجھ کر نہ گئے ٠
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