Friday, November 9, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 97-99


97

औक़ात बदलते हैं, बदलतीं सूरत, 
अहकाम इलाही में हो कैसे हुज्जत, 
खैरात, ज़कात, फ़ितरा तब किसको दें, 
जब हों सभी खुश, सभी बा गैरत. 
अहकाम इलाही =ईशादेश 

اوقات بدلتے ہیں ، بدلتی صورت 
احکام الہی میں ہو کیسے حجّت 
خیرات زکات فطرہ ، تب کس کودیں ؟
جب ہوں سبھی خوش حال ، سبھی با غیرت ٠ 

98 

किस बात पे यूँ गाना बजाना छोड़ा,
नाराज़ हुए, आब व् दाना छोड़ा,
कुछ सुनने सुनाने की क़सम भी खाली,
इक हिचकी ली और सारा ज़माना छोड़ा.

کیا بات ہوئی ، گانا بجانا چھوڑا 
ناراض ہوئے ، آب و دانہ چھوڑا 
کچھ سننے سنانے کی قسم بھی کھا لی 
اک ہچکی لیا ، اور زمانہ چھوڑا ٠ 

99

आवाज़ मुझे आख़िरी देकर न गए,
आवाज़ मेरी आख़िरी लेकर न गए,
बस चलते चलाते ही जहाँ छोड़ दिया,
अफ़सोस कि समझा के, समझ कर न गए. 

آواز مجھے آخری دیکر نہ گئے 
آواز مری آخری لیکر نہ گئے 
آئ ہے خبر تم نے جہاں چھوڑ دیا 
افسوس کہ سمجھا کے ، سمجھ کر نہ گئے ٠ 

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