Wednesday, November 28, 2018

जुंबिशें - - - क़तआत 16-18



16
बांग ए नव 
रुख़ पे सूरज के चलो, साए को पीछे छोड़ो,
अपनी परछाईं से खेलो न, ज़रा मुंह मोड़ो,
न बदलने की क़सम खाई है, इसको तोड़ो,
नव सदी के नए पैग़ाम से रिश्ता जोड़ो.

رہنمائی

رُخ پہ سورج کے چلو ، ساۓ کو پیچھے چھوڑو 
اپنی پرچھائیں سے کھیلونہ ، ذرا مُنہہ موڑو 
نہ بدلنے کی قسم کھائی ہے ، اسکو توڑو 
نو صدی کے نیے پیغام ، سے رشتہ جوڑو ٠ 

17
बार ए ज़मीं 

हाथों में हैं दुआओं के कंगन जड़े हुए,
ये फावड़े कुदाल हैं, बेजाँ पड़े हुए,
क़हहारी और रहीमी की बेडी है पाँव में,
दिल में हैं खौ़फ़ व् ऐश के शैताँ खड़े हुए.

زمیں کے بوجھ
ہاتھوں میں ہیں دعا وں کے کنگن جڑے ہوئے 
یہ پھاوڑے کدل ہیں ، بے جاں پڑے ہوئے 
قہہاری اور رحیمی کی ، بیڑی ہے پانو میں 
دل میں ہیں خوف و عیش کے ، شیطاں کھڑے ہوئے ٠ 

18
मौत के राग 

तबलीग़ है कि मौत को हर वक़्त याद कर,
मैं कहता हूँ कि मौत की कोई ख़बर न रख,
इक लम्हा मौत का है, मुसलसल है ज़िंदगी,
हर रोज़ खुद सरी हो, तो हर रोज़ बे सरी.
तबलीग़=प्रचार 

زندگی بنام موت
تبلیغ ہے کہ موت کو ہر وقت یاد کر 
میں کہتا ہوں کہ موت کی ،  کوئی نہ ہو خبر
اک لمحہ موت کا ہے ، مسلسل ہے زندگی 
ہر روز خود سری ہو ، تو ہر شب ہو بے سری ٠ 

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