Saturday, November 10, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 100-102


100

वह करके दुआ सबके लिए सोता है,
ख़िलक़त के लिए तुख्म ए समर बोता है, 
तुम और सताओ न मियाँ मुंकिर को,
मासूम की आहों में असर होता है.

وہ کر کے دعا سب کے لئے سوتا ہے 
خلقت کے لئے تخم ثمر بوتا ہے 
تم اور ستاو نہ میاں ' منکر' کو 
معصوم کی آ ہوں میں اثر ہوتا ہے ٠ 

101

होते हुए पुर अम्न ये हैबत में ढली, 
लगती है ख़तरनाक मगर कितनी भली,
है ज़िन्दगी दो चार दिनों की ही बहार,
ये मौत की खेती हुई, जो फूली न फली.

ہوتے ہوئے پر امن ، یہ ہیبت میں ڈھلی 
لگتی ہے خطر ناک ، مگر کتنی بہلی 
ہے زندگی دو چار دنوں کی ہی بہار
 یہ موت کی کھیتی ہے ، کہ جو پھولی پہلی ٠ 

102

इक फ़ासले के साथ मिला करते थे,
शिकवा न कोई और न गिला करते थे,
क़ुरबत की शिद्दतों ने डाली है दराड़,
दो रंग में दो फूल खिला करते थे.

اک فاصلے کے ساتھ ملا کرتے تھے 
شکوہ کوئی کرتے ، نہ گلہ کرتے تھے 
قربت کی شدتوں نے ، ڈالی ہے درار 
دو رنگ میں دو پھول ، کھلا کرتے تھے ٠ 

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