Saturday, November 17, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 118-120


118

चल दिए दबे क़दम किधर, ज़ाहिद तुम,
साथ में लिए हुए ये मुल्हिद तुम, 
पी ली उसकी या पिला दिया अपनी मय,
था तुम्हारा नक़क़ाद ये और नाक़िद तुम .
मुल्हिद=नास्तिक ,नक्काद, नाक़िद =आलोचक  
چل دِئے دبے قدم کِدھر زاہد تم
ساتھ میں لئے ہوئے یہ ملِحد تم
پی لی اُسکی یا پلا دیا اپنی مے ؟
تھا تمہارا نقّاد اور ناقِد تم ٠ 

119

ज़िल्लतें उठाए, सर झुकाए चलते हैं,
दाग़ ए दिल चरागों की तरह जलते हैं,
अहद कर चुके, कभी न लेंगे बदला,
इन्तेक़ाम भरे हाथ को हम मलते है,

ذلّتیں اُٹھاہے، سر جُھکاۓ چلتے ہیں
داغِ دل شراوں کی طرح جلتے ہیں 
عہد کر چُکے ، کبھی نہ لینگے بدلہ
انتقام بھرے ہاتھوں کو ہم ملتے ہیں ٠ 

120

सौ बार करो गौर , ग़लत तुम तो नहीं,
हो जाए अगर अपने ख़यालों पे यक़ीं,
कमज़ोर बनो और न मुआफी माँगो.
बकती फिरे दुन्या , बुलाता फिरे दीन . 

سو بار کرو غور ، غلط تم تو نہیں 
ہو جاۓ اگر اپنے خیالوں پہ یقیں 
کمزور بنو اور نہ معافی مانگو 
بکتی پھرے دنیا ، بلاتا پھرے دیں ٠

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