118
चल दिए दबे क़दम किधर, ज़ाहिद तुम,
साथ में लिए हुए ये मुल्हिद तुम,
पी ली उसकी या पिला दिया अपनी मय,
था तुम्हारा नक़क़ाद ये और नाक़िद तुम .
मुल्हिद=नास्तिक ,नक्काद, नाक़िद =आलोचक
چل دِئے دبے قدم کِدھر زاہد تم
ساتھ میں لئے ہوئے یہ ملِحد تم
پی لی اُسکی یا پلا دیا اپنی مے ؟
تھا تمہارا نقّاد اور ناقِد تم ٠
119
ज़िल्लतें उठाए, सर झुकाए चलते हैं,
दाग़ ए दिल चरागों की तरह जलते हैं,
अहद कर चुके, कभी न लेंगे बदला,
इन्तेक़ाम भरे हाथ को हम मलते है,
ذلّتیں اُٹھاہے، سر جُھکاۓ چلتے ہیں
داغِ دل شراوں کی طرح جلتے ہیں
عہد کر چُکے ، کبھی نہ لینگے بدلہ
انتقام بھرے ہاتھوں کو ہم ملتے ہیں ٠
120
सौ बार करो गौर , ग़लत तुम तो नहीं,
हो जाए अगर अपने ख़यालों पे यक़ीं,
कमज़ोर बनो और न मुआफी माँगो.
बकती फिरे दुन्या , बुलाता फिरे दीन .
سو بار کرو غور ، غلط تم تو نہیں
ہو جاۓ اگر اپنے خیالوں پہ یقیں
کمزور بنو اور نہ معافی مانگو
بکتی پھرے دنیا ، بلاتا پھرے دیں ٠
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