Sunday, November 11, 2018

जुंबिशें - - - रुबाइयात 103-105


103

ख़ामोश हुए, मौत के ग़म मैंने पिए,
अब तुम भी न जलने दो ये आंसू के दिए,
मैं भूल चुका होता हूँ अपने सदमें,
तुम रोज़ चले आते हो पुरसे को लिए.

خاموش ہوئے ، موت کے غم ہم نے پئے 
اب تم بھی نہ جلنے دو ، یہ آنسو کے دئے 
میں بھول چکا ہوتا ہوں ، اپنے صدمے 
تم روز چلے آتے ہو ، پرسے کو لئے ٠ 

104

माइल बहिसाब यूँ न होना था तुम्हें ,
मालूम न था अज़ाब होना था तुम्हें,
हंगामे-जवानी की मेरी तसवीरों,
इतनी जल्दी ख़राब होना था तुन्हें?

 مائلِ بحساب ، یوں نہ ہونا تھا تمہیں 
معلوم نہ تھا ، عذاب ہونا تھا تمہیں 
ہنگامِ جوانی کی میری تصویرو 
اتنی جلدی خراب ، ہونا تھا تمہیں ؟

105

पंडित जी भी आइटम का ही दम ले आए,
तुम भी मियाँ परमाणु के बम ले आए,
लड़ जाओ धर्म युद्ध या मज़हबी जंगें ,
हम सब्र करेंगे, उम्र कम ले आए.

پنڈت جی بھی ،ایٹم کا ہی دم لےآۓ 
تم بھی میاں ، پرمانو کے بم لےآۓ 
لڑ جاؤ دھرم یدھ ، کہ جہادی جنگیں 
ہم صبر کرینگے ، عمر کم  لےآۓ  

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