डर डरा डर डर, डर डर डर
है बाढ़ का, क़हत का, बड़े ज़लज़ला का डर,
पर्यावरण से दूषित, आबो-हवा का डर,
है कैंसर से, एड्स से, सब को फ़ना का डर,
राहों पे चलते फिरते, किसी हादसा का डर,
साँपों का, बिछुओं का, मुए भेड़िया का डर,
नेता, पुलिस, लुटेरे, गुरू, माफिया का डर,
इन सब से बच बचा के भी, बाकी बचा रहा,
शैतान, भूत, जिन्न ओ मलायक, खुदा का डर।
पंडितो-मुल्ला -----
पंडितो-मुल्ला दो गहरे दोस्त थे इक चाल में,
खूब बनती, खूब छनती दोनों की हर हाल में,
एक दिन मुल्ला ये बोला , सुन कि ऐ पंडित महान!
बाँधता तू है ग़लत , पेशाब में बेचारे कान ?
सुन के पंडित ने कहा और वज़ू तेरा मियाँ,
गंध करता है कहाँ से ? साफ़ करता है कहाँ ?
तेरे मेरे आस्थाओं में ज़रा सा फ़र्क़ है,
मेरी कश्ती नर्क में है, तेरा बेडा ग़र्क़ है।
अरे बाबा! किसी को नहीं बक्शा।
ReplyDeleteबहुत ही जबरदस्त विरोध दर्ज किया है ।
बहुत सुंदर....
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