Friday, March 8, 2019

जुंबिशें - - - मुस्कुराहटें


मरसिया 

बाद मुद्दत के सही , आई क़ज़ा अच्छा हुवा .
थक गया था , चार कान्धों पर लदा अच्छा हुवा .

लुट गया बुड्ढे का कल माल ओ मतअ अच्छा हुवा .
था दुकान ओ घर पे ग़ालिब , मर गया अच्छा हुवा .

बेबसी के बार ए ज़हमत से तुम्हें छुट्टी मिली ,
था निज़ाई वक़्त , तुमने ली ख़ुला अच्छा हुवा .

रो रहे हो इस लिए , दुन्या का ये दस्तूर है ,
दिल में कहते हो मरा खूसट , चलो अच्छा हुवा .

मैं भटकती रूह हूँ ,उसके सितम से था मरा ,
आज निपटूंगा , कि मह्शर में मिला अच्छा हुवा .  

देख कर मय्यत को क्यों, मिलती है राहत क़ल्ब को ,
लगता है मुंकिर कि थोडा सा, मरा अच्छा हुवा .
*
مسکراہٹیں

مرثیہ 

بعد مدّت کے سہی ، آئ قضا ، اچّھا ہوا 
تھک گیا تھا، چار کاندھوں پر لدا اچّھا ہوا 

لٹ گیا بدڈھے کا کل مال و مطع اچّھا ہوا
تھا دکان و گھر پہ غالب ، اٹھ گیا اچّھا ہوا

بےبسی کے بار زحمت سے تمہیں چھٹی ملی 
تھا نزاعی وقت ، تمنے لی خلاء اچّھاہوا 

رو رہے ہو اس لئے ، دنیا کا یہ دستور ہے 
دل میں کہتے ہو ، گیا کھوسٹ ، چلو اچّھا ہوا

میں بھٹکتی روح ہوں ، اسکے ستم سے تھا مرا 
آج نپٹونگا کہ محشر میں ملا ، اچّھا ہوا

دیکھ کر میّت کو کیوں ملتی ہے راحت قلب کو 

لگتا ہے منکر بھی تھوڑا سا مرا اچّھا ہوا

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