Thursday, March 14, 2019

जुंबिशें - - - रुबाइयाँ

रुबाइयाँ
घर वाली की हर वक़्त हिमायत छोड़ो,
नर जैसे बनो, मादा की ख़सलत छोड़ो,
फुंक जाते हो, गर कान को फूंके जोरू,
बस थोड़ी सी ग़ैरत में हरारत छोड़ो.

گھر والی کی ہر وقت حمایت چھوڑو 
نر جیسے بنو ، مادہ کی خصلت چھوڑو 
پُھنک جاتے ہو ، گر کان کو پھونکے جورو 
بس تھوڑی سی غیرت میں حرارت چھوڑو ٠ 

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मातूब हुवा जाए बुढ़ापे में वजूद, 
लागत मिली बीवी से, न औलाद से सूद, 
संन्यास की ताक़त है, न अब भाए जुमूद, 
बूढ़े को सताए हैं, बचे हस्त ओ बूद.   
मातूब=शापित,जुमूद=गत्यावरोध,हस्त ओ बूद=होना  

معتوب ہوا جاۓ ، بُڑھاپے میں وجود 
لاگت ملی بیوی سے ، نہ اولاد سے سود 
سنیاس کی طاقت ہے ، نہ اب بھاۓ جمود 
بوڑھے کو رُلاۓ ہے ، بچا ہست و بود ٠ 

***
हाँ! जिहादी तालिबों को पामाल करो, 
इन जुनूनियों का बुरा हाल करो, 
बे क़ुसूर, बे नयाज़ पर आँच न आए, 
आग के हवाले न कोई माल करो. 
पामाल=बरबाद,बे नयाज़ =अबोध

ہاں ! جہادی طالبوں کو پامال کرو 
اِن جُنونیوں کا بُرا حل کرو 
بے قصوروں ، بے نیازوں پر آنچ نہ آئے 
آگ کے حوالے ، نہ کوئی مال کرو ٠ 

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