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सपने सजा रहा हूँ, पलकें बिछा रहा हूँ,
यादों को ले के तेरी, मैं सोने जा रहा हूँ .
पैरों में बेड़ियाँ तू ,मत डाल ऐ मेरी माँ,
मैं आसमां के ऊपर सीढ़ी लगा रहा हूँ,
बहने यतीम छः हैं मेरी किफ़ालतों में,
मैं अपनी वल्दियत के क़र्जे चुका रहा हूँ.
जुज़्व ए ख़फ़ीफ़ सा हूँ , ज़र्रा हूँ कायनाती ,
बे सुर का हस्त व् बूदी, बाजे बजा रहा हूँ.
हरगिज़ जमात ए खर को मत छेड़एगा मुंकिर ,
हक्वारे यह कहेंगे भेड़ें चुरा रहा हूँ.
***
،سپنے سجا رہا ہوں، پلکیں بچھا رہا ہوں
یادوں کو تیرے لے کے، میں سونے جا رہا ہوں٠
،پیروں میں بیڑیاں تو، مت ڈال اے مری ماں
میں آسماں کے اوپر، سیڑھی لگا رہا ہوں٠
،بہنیں یتیم چھہ ہیں، میری کفالتوں میں
میں اپنی ولدیت کے، قرضے چکا رہا ہوں٠
،جزوِ خفیف سا ہوں، زررہ ہوں کایناتی
بے سر کا ہست بودی، باجہ بجا رہا ہوں٠
،ہرگز جماعتی کو مت چھیڑ ۓ گا منکر
ہکوارے یہ کہیں گے، بھیڑیں چرا رہا ہوں٠
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