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दुश्मनी गर बुरों से पालोगे,
ख़ुद को उन की तरह बना लोगे.
तुम को मालूम है, मैं रूठूँगा,
मुझको मालूम है, मना लोगे.
लम्स1 रेशम हैं, दिल है फ़ौलादी,
किसी पत्थर में, जान डालोगे.
मेरी सासों के डूब जाने तक,
अपने एहसान, क्या गिना लोगे.
दर के पिंजड़े के, ग़म खड़े होंगे,
इस में खुशियाँ, बहुत जो पालोगे.
सूद दे पावगे न "मुंकिर" तुम,
क़र्ज़ ए नाहक़, को तुम बढ़ा लोगे.
1-स्पर्श
،دُشمنی گر بُروں سے پالوگے
خود کو اُن کی طرح بنالوگے٠
،تُم کو معلوم ہے میں روٹھنو گا
مُجھکو معلوم ہے، منا لوگے٠
،لمس ریشم ہے، دل ہے فولادی
کسی پتھر میں جان ڈالوگے٠
،میری ساسوں کے ڈوب جانے تک
اپنے احسان کیا گنا لوگے٠
،در پہ پُنجڑے کے غم کھڑے ہوں گے
اس میں خوشیاں بہت جو پالوگے٠
،سود دے پاؤگے نہ منکر تم
قرض کو اور بھی بڑھا لوگے٠
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