Friday, April 6, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 21



21

सच्चाइयों ने हम से, जो तक़रार कर दिया,
हमने ये सर मुक़ाबिल-ए-दीवार कर दिया.

अपनी ही कायनात से, बेज़ार जो हुए,
इनको सलाम, उनको नमस्कार कर दिया.

तन्हाइयों का सांप, जब डसने लगा कभी,
ख़ुद को सुपुर्द ए ग़ाज़िए, गुफ़्तार1 कर दिया.

देकर ज़कात सद्क़ा, मुख़य्यर अवाम ने,
अच्छे भले ग़रीब को बीमार कर दिया.

हाँ को न रोक पाया, नहीं भी न कर सका,
गोया कि हर गुनाह का, इक़रार कर दिया.

रूहानी हादसात व् अक़ीदत के ज़र्ब ने,
फ़ितरी असासा2 क़ौम का, बेकार कर दिया.

1 बातूनी 2 क़ुदरती पूंजी 

،سچائیوں نے ہم سے جب تقرا ر کر دیا 
ہم نے یہ سر مقابلِ دیوار کر دیا٠ 

،اپنی ہی کائنات سے، بیزار جب ہوئے 
انکو سلام، انکو نمسکار کر دیا٠ 

،تنہائیوں کا سانپ جب ڈسنے لگا کبھی 
خود کو سپردِ غازی گفتار کر دیا٠ 

،دے کر زکات صدقہ، مخیّر عوام نے 
اچھے بھلے غریب کو بیمار کر دیا٠ 

،ہاں کو نہ روک پاۓ، نہیں بھی نہ کر سکے
نا کردہ تھے گناه ، کہ اقرار کر دیا٠ 

،روحانی حادثاتِ عقیدت کے ضرب نے 
فطری اثاثے قوم کا بیکار کر دیا٠ 

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