Wednesday, April 18, 2018

जुंबिशें - - -ग़ज़ल 33




33

रहबर ने पैरवी का जुनूं , यूँ बढ़ा लिया,
आखें जो खुली देखीं तो, तेवर चढ़ा लिया.

तहक़ीक़ ग़ौर व् फ़िक्र, तबीअत पे बोझ थे,
अंदाज़ से जो हाथ लगा, वह उठा लिया.

शोध और आस्था में, उन्हें चुनना एक था,
आसान आस्था लगी, सर में जमा लिया.

साधू को जहाँ धरती के, जोबन ज़रा दिखे,
मन्दिर बनाया और, वहीँ धूनी रमा लिया.

पाना है गर ख़ुदा को, तो बन्दों से प्यार कर,
वहमों की बात थी ये, ग़नीमत कि पा लिया.

"मुंकिर" की सुलह भाइयों से, इस तरह हुई,
खूं पी लिया उन्हों ने, ग़म इस ने खा लिया.

،رہبر نے پیروی کا جنوں یوں بڑھا لیا 
 آنکھیں جو کھلی دیکھی  تو تیور چڑھا لیا٠ 

،تحقیق وغوروفکر، طبعیت پہ بوجھ تھے
انداز سے جو ہاتھ میں آیا، اٹھا لیا٠ 

،کرنا تھا انکو علم وعقیدت میں انتخا ب 
آسان تھیں عقیدتیں ، سر میں جما لیا٠ 

،دیکھے جہاں زمین پہ، قدرت کے ناک و نقش 
اک بُت وہیں بنایا اور دھونی رما لیا٠ 

،پانا ہے گر خدا تو بندوں سے پیار کر 
وہموں کی بات تھی یہ غنیمت، جو پا لیا٠ 

،منکر کی صُلح بھائیوں سے اِس طرح ہوئی 
خوں پی لیا اُنہوں نے، غم میں نے کھا لیا٠ 

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