Monday, June 3, 2019

जुंबिशें ----- रुबाइयात



रुबाइयात 

नन्हीं सी मेरी जान से जलते क्यों हो,
यारो मेरी पहचान से जलते क्यों हो,
तुम खुद ही किसी भीड़ की गुम शुदगी हो, 
मुंकिर को मिली शान से जलते क्यों हो. 

ننہیں سی مری جان سے جلتے کیوں ہو 
یارو مری پہچان سے جلتے کیوں ہو،
تم خود ہی کسی بھیڑ کی گُم شُدگی ہو ،
منکر کو ملی شان سے جلتے کیوں ہو ٠
*

आज़माइशें हुईं, करीना आया,
चैलेंज हुए कुबूल, जीना आया.
शम्स ओ क़मर की हुई पैमाइश,
लफ़फ़ाज़ के दांतों में पसीना आया. 
**
آزمائشیں ہوئیں ، قرینہ آیا 
چیلنج ہوئے قبول ، جینا آیا 
شمس اور قمر کی ہوئی پیمائش 
لفاظی کے دانتوں کو پسینہ آیا ٠ 
*** 

मुमकिन है कि माज़ी में ख़िरद गोठिल हो, 
समझाने, समझने में बड़ी मुश्किल हो, 
कैसा है ज़ेहन अब जो समझ लेता है, 
मज़मून में मफ़हूम अगर मुह्मिल हो. 

ممکن ہے کہ ماضی میں خرد گوٹھل ہو 
سمجهانے سمجھنے میں بڑی مشکل ہو  
کیسا ہے ذھن اب جو سمجھ لیتا ہے  
مضمون میں مفہوم اگر مہمل ہو ٠ 

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