Wednesday, June 26, 2019

क़तआत ٠जू,जुंबिशें


क़तआत
कसौटी 

ईमान को पाया है या ईमान लिया है?
मनवाया गया है कि इसे मान लिया है.
फटका है? पछोरा है? इसे छान लिया है?
लोगों के गढ़े देव को पहचान लिया है?

ایمان کی کسوٹی

ایمان کو پایا ہے ، یا ایمان لیا ہے
منوایا گیا ہے ، کہ اسے ماں لیا ہے 
پھٹکا ہے ؟ پچوڑا ہے ؟ اسے چھان لیا ہے؟
کس طرح گڑھے دیو کو پہچان لیا ہے ؟ ؟


पसीने  फूल 

हल पेट की गुत्थी थी, दहकाँ की बदौलत,
तन सर की मुहाफ़िज़ है, ये मज़दूर की मेहनत, 
दीवारों में लिपटी हुई आरिफ़ की दुआएँ,
है ताक़ पे अटकी हुई, आबिद की इबादत.
मुहाफ़िज़=संरक्षक , आरिफ़=आत्म ज्ञानी ,आबिद=उपासक 

پسینے کے پھول

عابد کی عبادت تھی کسی طاق میں اٹکی 
عارف کی دعا یں رہی ، دیوار میں چپکی 
دہقاں کی مشققت نے غذا پیٹ کو دی ہے
مزدور کی محنت نے تن و سر کی خبر لی ٠ 

दुआए ख़ैर 

ये ज़ातयाती फ़ितने, माहौलयाती सदमें,
ये दुश्मनी के नरगे़, ये नफ़रतों के रख़ने,
ऐ क़ूवत ए इरादी, इन से बचा के ले चल,
जब तक मेरी मुहिम में आफ़ाक़ियत न झलके.
ज़ातयाती=व्यक्ति गत ,क़ूवत ए इरादी=दृढ निश्चय  आफ़ाक़ियत=बुलंदी 

دعاءُ خیر 

یہ زاتیاتی سدمیں، ماحول یاتی فتنے 
یہ دُشمنی کے نرغے، یہ نفرتوں کے رخنے 
ائے قووتِ ارادی، ان سے بچا کے لے چل 
جب تک مری مُہم میں، آفاقیت نہ جھلکے٠   

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