Tuesday, August 7, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 21 बांग


21

बांग 

एहसासे कम्तरो तुम, ज़ेहनी गदागरो3तुम,
पैरों में रह के देखा, अब सर में भी रहो तुम.

इनकी सुनो न उनकी, ऐ मेरे दोस्तों तुम,
अपनी ख़िरद4 की निकली, आवाज़ को सुनो तुम.

दुनिया की गोद में तुम, जन्में थे, बे-ख़बर थे,
ज़ेहनी बलूग़तों5 में, इक और जन्म लो तुम.

अंधे हो गर, सदाक़त, कानों से देख डालो,
बहरे हो गर, हकीक़त, आखों से अब सुनो तुम.

ख़ुद को संवारना है, धरती संवारनी है,
दुन्या संवारने तक, इक दम नहीं रुको तुम.

मैं  ख़ाक  लेके अपनी, पहुँचा हूँ पर्वतों तक,
ज़िद में अगर हो क़ायम, पाताल में रहो तुम.

१-कोड़े २-हीनाभासी3-तुच्छाभास ४-बुद्धि -बौधिक 5-ब्यासकता

بانگ 

،احساس کمترو ، تم ذہنی گدا گرو تم 
پیروں میں رہ کے دیکھا ، اب سر میں بھی رھوتم٠ 

،انکی سنو نہ اُنکی ، اے میرے دوستو تم
پھوٹی ہوئی ندا کی آواز کو سنو تم٠ 

،دنیا کی گود میں تم ، جنمے تھے بے خبر تھے
ذہنی بلوغتوں میں ، اک اور جنم لو تم٠ 

،اندھے ہو گر ، صداقت کانوں سے دیکھ ڈالو
بہرے ہو گر ، حقیقت اب آنکھ سے سنو تم٠ 

،خود کو سنوارنا ہے ، دنیا سنوار نی ہے
دھرتی سنوارنے تک ، اکدم نہیں رُکو تم٠ 

،میں جسم اپنا لے کے آکاش چڑھ گیا ہوں
ضد میں اڑے ہوئے ہو، پاتال میں رہو تم٠ 

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