Thursday, August 2, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 16 बेदारियाँ



16

बेदारियाँ  

तुम्हारी हस्ती में, रूपोश इक खज़ाना है,
तुम्हारी हिस की, कुदालों को धार पाना है.
इसे तमअ के तराज़ू में तोलना न कभी,
किसी भी हाल में, कीमत नहीं लगाना है.

जो ख़ाली हाथ ही जाते हैं, उनको जाने दो,
तुम्हारे हाथ तजस्सुस भरे ही जाना है.
तुम्हीं को चुनना है, हर फूल अपने ज़ख़्मों के,
सदा मदद की, कभी भी नहीं लगाना है.

सरों पे कूदती माज़ी की, इन किताबों को,
ज़रूर पढ़ना, मगर हाँ कि, यह फ़साना हैं.
हैं पैरवी यह सभी दिल पे बंदिशे 'मुंकिर',
जो साज़ ख़ुद है बनाया, उसे बजाना है.

0-जागरण २-ओझल होना ३-आभस ४- लालच ५कौतूहल ६-अतीत

بیداریاں

،تُمہاری ہستی میں روپوش اک خزانہ ہے 
تُمہارے حس کی کُدالوں کو دھار پانا ہے ٠

،اسے طمع کے ترازو میں تولنا نہ کبھی
کسی بھی حال میں قیمت نہیں لگانا ہے ٠

،جو خالی ہاتھ ہی جاتے ہیں ، انکو جانے دو 
تُمہارے ہاتھ تجسّس بھرے ہی جانا ہے٠  

،تُمہیں کو چُننا ہے ہر پھول اپنے زخموں کے
صدا مدد کی کبھی بھی نہیں لگانا ہے ٠

،سروں پہ کودتی ماضی کی ان کتابوں کو 
ضرور پڑھنا ، مگر ہاں کہ یہ فسانہ ہے ٠

،ہیں پیروی یہ سبھی دل پہ بندشیں منکر 
جو ساز خود ہے بنایا ، اُسے بجانا ہے ٠ 

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