Wednesday, August 1, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 15 कब तक ?



15

कब तक ?

अंधी गुफाओं में कब तक छुपोगे ?
नस्लों के हमराह कब तक चुकोगे ?
गुमबद, शिवालों के कारीगरों पर,
सदियों से झुकते हो, कब तक झुकोगे ?

क़ौमे नई सीढियाँ गढ़ रही ,
देखो ख़लाओं की छत चढ़ रही हैं ,
तुम हो कि माज़ी से लिपटे हुए हो ,
नस्लें तुम्हारी दुआ पढ़ रही हैं .

जागो नई रोशनी आ गयी है ,
सच्चाइयों को ज़मीन पा गयी है ,
रस्मों के जालों में उलझे हुए हो ,
तहज़ीब ए नव, इससे घबरा गयी है .

पीछे बहुत रह न जाओ दिवानो ,
न ख़्वाबों की जन्नत में जाओ दिवानो ,
बच्चों को आगे बढाओ दिवानो ,
'मुंकिर' के संग जाग जाओ दिवानो .
खलाओं =क्षितिजो

کب تک

،اندھی گفاؤں میں کب تک چُھپوگے 
،نسلوں کے ہمراہ ، کب تک چُکوگے 
،روضوں شِوالوں کے کاری گروں پر 
صدیوں سے جھکتے ہو، کب تک جھکو گے؟  

،قومیں نئی سیڑھیاں گڑھ رہی ہیں 
،دیکھو خلاؤں کی چھت چڑھ رہی ہیں 
،تم ہو کہ ماضی سے لِپٹے ہوئے ہو 
نسلیں تمہاری دعا پڑھ رہی ہیں؟

،جاگو نئی روشنی آ گئی ہے 
،سچائیوں کو زمیں پا گئی ہے 
،رسموں کی دنیا میں اُلجھے ہوئے ہو 
تہذیب نو اس سے گھبرا گئی ہے٠ 

،پیچھے بہت رہ نہ جاؤ دِوانو 
،خوابوں میں لڈّو نہ کھاؤ دِوانو 
،بچوں کو اپنے پڑھاو دِوانو 
منکر کے سنگ جاگ جاؤ دِوانو ٠ 

No comments:

Post a Comment