Sunday, August 5, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 19 दावत ए फ़िक्र



19

दावत ए फ़िक्र1

सोचो सीधे शरीफ़ इंसानों!
ख़्सी आज़ादी ए तबअ क्या है?
यह तुम्हारी अजीब फ़ितरत है,
अपने अंदर के नर्म गोशों में,
इक शजर खौ़फ़ का उगाते हो,
और खुशियों की आरज़ू लेकर,
गर्दनें अपनी पेश करते हो,

मज़हबी डाकुओं की खिदमत में,
सेवा में, धार्मिक लुटेरों के,
हैं जो झूटे वह खूब वाक़िफ़ हैं,
खौफ़ से जो तुम्हारे अंदर है,
वह तुम्हारा इलाज करते हैं,
मॉल के बदले चाल को देकर.

लस-सलाह3 की वह सदा देते हैं,
अपनी इस्लाह वह नहीं करते,
लल्फ़लाह की सदा लगाते हैं,
ताकि इनकी फलाह होती रहे,
इनका ज़रिया मुआश का तकिया,
हमीं मेहनत कशों पे है रख्खी.

हर नई नस्ल इल्म नव से जुडें.
इनको यह क़तई गवारह नहीं,
सब को शिद्दत पसंद बनाते हैं,
आयत ए शर से वर्गालाते हैं.
ऐ मेरी क़ौम ! वक़्त है जागो,
साये से इनके दूर अब भागो.

१-चिंतन का आवाहन २- व्यक्तिगत 3- जेहनी आज़ादी 4-सुधार 5-भलाई 
6 -भरण पोशन७-नई शिक्छा ८-अति वादी ९ -उग्रवादी आयतें


دعوتِ فکر

،سوچو سیدھے شریف انسانوں 
شخصی آزادئی طبع کیا ہے ؟

،یہ تمہاری عجیب فطرت ہے
،اپنے اندر کے نرم گوشوں میں
،اک شجر خوف کا اُگاتے ہو
،اور نجاتوں کی آرزو لیکر
،گردنیں اپنی  کرتے ہو
 ،مذہبی ڈاکووں کی خدمات میں
،سیوا میں دھارمک لُٹیروں کے 
،ہیں جو جھوٹے ، وہ خوب واقف ہیں
،خوف سے جو تمہارے اندر ہے
،یہ تمہارا علاج کرتے ہیں
،مال کے بدلے چال کو دیکر
،سانحہ ہے شکار ہو تم کچھ 
حادثہ ہے کہ متاثر ہے سبھی ٠ 

،لصّلا ح کی وہ صدا دیتے ہیں
،اپنی اصلاح خود نہیں کرتے

،للفلاح کی صدا لگاتے ہیں
*تاکہ انکی فلاح ہوتی رہے

،ان کا ذریعہ معاش کا تکیہ 
ہمیں محنت کشوں پہ رکھکھا ہے٠ 

ہر نئی نصل علم نو سے جڑیں،
انکو یہ قطعی گوارہ نہیں،
سب کو شدّت پسند بناتے ہیں، 
آیت شر سے ورغلاتے ہیں٠ 

ایے مری قوم وقت ہے جاگو ،
ساۓ سے دور انکے تم بھگو ٠ 

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