Wednesday, July 24, 2013

junbishen 48



दोहे

ले कर आपस में लड़ें, दीन धरम का ज्ञान,
इनमे कितना मेल था, जब थे ये अज्ञान.
*
चले जिहादी अरब से, न पहुंचे जापान,
भारत आकर फँस गया , इस्लामी अभियान.
*
मुल्ला पंडित एक हैं, जनता को लड्वाएं ,
बोएं पेड़ बबूल का, आम मगर ये  खाएँ .
*
'मुनकिर' मत दे भीख तू , इसका बद तर अंजाम,
विकलांगों पर कर दया, दे कुछ इनको काम.
*
ससुरी माया जाल को, सर पे लिया है लाद, 
अपने दुश्मन हो गए, रख कर ये बुन्याद. 

3 comments:

  1. सुन्दर ,सटीक और सार्थक . बधाई
    सादर मदन .कभी यहाँ पर भी पधारें .
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  2. सार्थक अभिवयक्ति......

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  3. सही अंदाज दोहों का ।

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