Tuesday, July 30, 2013

junbishen 50


नज्म 
बेदारियाँ  

तुम्हारी हस्ती में, रूपोश इक खज़ाना है,
तुम्हारी हिस की, कुदालों को धार पाना है।
इसे तमअ के तराज़ू में तोलना न कभी,
किसी भी हाल में, कीमत नहीं लगाना है।

जो ख़ाली हाथ ही जाते हैं, उनको जाने दो,
तुम्हारे हाथ तजस्सुस भरे ही जाना है।
तुम्हीं को चुनना है, हर फूल अपने ज़ख्मो के,
सदा मदद की, कभी भी नहीं लगाना है।

सरों पे कूदती माज़ी की, इन किताबों को,
ज़रूर पढ़ना, मगर हाँ कि, यह फ़साना हैं।
हैं पैरवी यह सभी दिल पे बंदिशे 'मुंकिर',
जो साज़ ख़ुद है बनाया, उसे बजाना है।

0-जागरण २-ओझल होना ३-आभस ४- लालच ५कौतूहल ६-अतीत

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