Friday, May 31, 2019

जुंबिशें ---- दोहे


दोहे
'मुंकिर' अपनी सोंच में, पाले है शैतान ,
बात सुनी शैतान ने , बहुत हुवा हैरान . 

'منکر'اپنی سوچ میں پالے ہے شیطان 
شیطاں سن کر بات کو ، بہت ہوا حیران ٠
*

काहे हंगामा करे, रोए ज़ारो-क़तार,
आंसू के दो बूँद बहुत हैं, पलक भिगोले यार।

کاہے ہنگامہ کرے ، روے زار و قطار 
آنسو کے دو بوند بہت ہیں ، پلک بھگولے یار .
**
'मुंकिर' कच्ची सोच है, ऊपर है इनआम,
इस में गारत कर लिया, नीचे का मय जाम।

'منکر' طفلی سوچ ہے ، اوپر ملے انعام 
اس سے غارت ہو گے ، نیچے کے مے جام ٠
***

हम में तुम में रह गई, न नफ़रत न चाह,
बेहतर है हो जाएँ अब, अलग अलग ही राह.

ہم میں تم میں رہ گئی ، نہ نفرت نہ چاہ 
بہتر ہے ہو جایں اب ، الگ الگ ہی راہ ٠
****


चित को कैदी कर गई, लोहे की दीवार।
बड़ी तिजोरी में छिपी, दौलत की अम्बार॥

چت کو قیدی کر گئی ، لوہے کی دیوار 
بڑی تجوری میں چھپی دولت کی امبار

No comments:

Post a Comment