मुस्कुराहटें
दोहा-तीहा-चौहा
दोहा
तुलसी बाबा की कथा, है धारा प्रवाह,
राम लखन के काल के, जैसे होएँ गवाह.
तीहा
हे दो मन की बालिके ! देहे पर दे ध्यान,
चलत, फिरत, डोलत तुझे, पल पल होत थकान,
पर मुँह ढोवे न थके, तन यह बैल समान.
चौहा
सात नवाँ तिरसठ भया, तीन औ छ चुचलाएँ,
तीन नवाँ छत्तीस हुआ, तीन औ छ टकराएँ,
छत्तीस का यह आकड़ा, अकड़े बीच बजार,
तिरसठ की है आकडी , गलचुम्मी कर जाएँ.
دوہا --تیہا ---چوہا
دوہا
تلسی بابا کی کتھا، ہے دھارا پرواہ
رام لکھن کے کال کے، جیسے ہویں گواہ٠
تیہا
ہے دو من کی بالیکے ! دے دیہے پر دھیان،
چلت پھرت ڈولت تجھے پل پل ہوت تکان
پر منہ ڈھووت نہ تھکے ، تن یہ دھول سمان٠
چوہا
سات نواں ترسٹھ بھیا ، تین اور چھہ چچلأیں
تین نواں چھتیس ہوا ، تین اور چھہ ٹکرایں
چھتیس کا یہ آکڑا ، اکڑیں بیچ بزار
ترسٹھ کی ہے آکڑی ، گلچممی کر جاین٠
नदि समाध लगाई के बकुला करै ध्यान |
ReplyDeleteसब पंथन ते ऊँच किए अपना पंथ ग्यान || १५ ||
भावार्थ : - सावधान ! सभी पंथो से अपने पंथ अपने ज्ञान को ऊंचा कहते वंचक/पाखंडी नास्तिक नदी किनारे समाधिस्थ हुवे ध्यानमग्न है |