Thursday, May 23, 2019

जुंबिशें ---------रुबाइयात


रुबाइयात
इन्सान के मानिंद हुवा उसका मिज़ाज , 
टेक्सों के एवज़ में ही चले राज व् काज,
है दाद-व् -सितद में वह बहुत ही माहिर,
देता है अगर मुक्ति तो लेता है ख़िराज.

اِنسان کے مانند ہُوا اُسکا مزاج 
ٹیکسوں کے عوض میں ہی چلے راج و کاج 
ہے داد و سِتد میں وہ بڑا ہی ماہر 
دیتا ہے گر نجات ، لیتا ہے خراج .
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अल्फाज़ के मीनारों में क्या रख्खा है, 
सासों भरे गुब्बारों में क्या रख्खा है,
इस हाल को देखो कि कहाँ है मिल्लत,
माज़ी के इन आसारों में क्या रख्खा है. 
***
الفاظ میناروں میں کیا رکّھا ہے 
ساسوں بھرے غُباروں میں کیا رکّھا ہے
اس حال میں دیکھو کہ کہاں ہے اُمّت 
ماضی کے ان آساروں میں کیا رکّھا ہے 
***

आज़ादी है सभी को कोई कुछ माने,
अजदाद* के जोगी को पयम्बर जाने,
या अपने कोई एक खुदा को गढ़ ले,
गुस्ताख़ी है औरों को लगे समझाने.
*पूर्वज 

آزادی سبھی کو ہے ، کوئی کچھ مانے 
اجداد کے جوگی کو پیمبر جانے
یا اپنے کوئی ایک خدا کو گڑھ لے 
گستاخی ہے آوروں کو لگے سمجھنے ٠ 

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