Friday, May 17, 2019

जुंबिशें - मुस्कुराहटें


मुस्कुराहटें 
दोहा-तीहा-चौहा

दोहा

 तुलसी बाबा की कथा, है धारा प्रवाह, 
राम लखन के काल के, जैसे होएँ गवाह. 
तीहा

हे दो मन की बालिके ! देहे पर दे ध्यान,
चलत, फिरत, डोलत तुझे, पल पल होत थकान,
पर मुँह ढोवे न थके, तन यह बैल समान.
चौहा
सात नवाँ तिरसठ भया, तीन औ छ चुचलाएँ,
तीन नवाँ छत्तीस हुआ, तीन औ छ टकराएँ,
छत्तीस का यह आकड़ा, अकड़े बीच बजार,
तिरसठ की है आकडी , गलचुम्मी कर जाएँ.

دوہا  --تیہا ---چوہا 

دوہا

تلسی بابا کی کتھا، ہے دھارا پرواہ 
رام لکھن کے کال کے، جیسے ہویں گواہ٠  

تیہا

ہے دو من کی بالیکے ! دے دیہے پر دھیان، 
چلت پھرت ڈولت تجھے پل پل ہوت تکان
پر منہ ڈھووت نہ تھکے ، تن یہ دھول سمان٠  

چوہا
سات نواں ترسٹھ بھیا ، تین اور چھہ چچلأیں
تین نواں چھتیس ہوا ، تین اور چھہ ٹکرایں
 چھتیس کا یہ آکڑا ، اکڑیں بیچ بزار 
ترسٹھ کی ہے آکڑی ، گلچممی کر جاین٠ 

1 comment:

  1. नदि समाध लगाई के बकुला करै ध्यान |

    सब पंथन ते ऊँच किए अपना पंथ ग्यान || १५ ||

    भावार्थ : - सावधान ! सभी पंथो से अपने पंथ अपने ज्ञान को ऊंचा कहते वंचक/पाखंडी नास्तिक नदी किनारे समाधिस्थ हुवे ध्यानमग्न है |

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