Saturday, September 1, 2018

जुंबिशें - - - नज़्म 46 गुलकारियाँ



 46 

गुलकारियाँ 

सवाब क्या है, खुशी तुम्हारी,
अज़ाब क्या है, तुम्हारी उलझन,
' वहाँ ' पे कुछ भी नहीं है प्यारे,
यहीं पे सब कुछ, है रोज़े-रौशन.

इताबे1क़ुदरत, है ख़ौफ़-हैवाँ,2
ख़ुदा का क़हर और फ़रेबे-शैताँ,
बचे हैं इन्सां, कि बाद इनके,
चलो कि आपस में बाटें सावन.

वो पेड़ दूषित, फ़सल जो उपजें,
चलो कि देखें, जड़ों में इनके,
कहाँ से लेती हैं गर्म सासें,
कहाँ से पाती हैं दुष्ट जीवन.

ख़ुदा को क़िस्तों में माना हम ने,
थी ख़ौफ़ अव्वल और लौस3 दोयम,
फ़रेब, धोखा थी क़िस्त सोयम,
और चौथी, जंगें, विजय, समर्पन.

अजब हैं ज़ेहनी इबारतें यह,
सवाल उज्जवल जवाब मद्धम,
ख़याल 'उस' की तरफ़ है मायल4.
दिमाग़ मांगे सुबूतो-दर्शन.

शबाब क़ातिल, बला का जोबन,
बहक गई है यह महकी जोगन,
इसे ठिकाना बुला रहा है,
कोई बनाए इसे सुहागन.

१-प्राकृतिक आपदा २-पशु-भय ३ -लालच 4-आक्रशित

گُل کا ریا ں 
،ثواب کیا ہے ، تمہاری خوشیاں 
،عذاب کیا ہے ، ذرا سی اُلجھن 
،وہاں پہ کُچھ بھی ، نہیں ہے پیارے 
ہہیں پہ سب کُچھ ، ہے روزِ روشن ٠ 
***
،عتابِ قدرت ، ہراسِ حیواں 
،خدا کی مرضی ، فریبِ شیطاں 
،بچے ہیں انساں ، کہ بعد اسکے 
چلو کہ آپس میں ، باٹیں ساون ٠ 
***
،شجر ، جو ناقص ثمر کو اُپجیں 
،اُٹھو کہ دیکھیں ، جڑوں میں انکے 
،کہاں سے لیتی ہیں ، گرم ساسیں 
کہاں سے پاتی ہیں ، دُشٹ جیون ٠ 
***
،خدا کو قسطوں میں ، مانا ہمنے
،تھی خوف اوّل ، طمع تھی دویم 
فریب، دھوکہ ، تھی قسط سویم 
تھی چوتھی جنگیں، فتح ، سمرپن ٠ 
***
،عجب ہیں ذہنی ، عبارتیں یہ 
،سوال واضح ، جواب مبہم 
،دماغ اُسکی طرف ہے مائل 
خیال مانگے ، سُبوت ، درشن ٠ 
***
،شباب قاتل ، بلا کا جوبن 
،بھٹک گئی ہے ، یہ مہکی جوگن 
،اسے ٹھکانہ ، بلا رہا ہے 
کوئی بناۓ ، اسے سہاگن ٠ 

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