Thursday, May 24, 2018

67 रिश्ता नाता कुनबा फ़िर्क़ा, सारा जग ये झूठा है,



67

रिश्ता नाता कुनबा फ़िर्क़ा, सारा जग ये झूठा है,
जुज़्व1की नदिया मचल के भागी,कुल2का सागर रूठा है.

ज्ञानेश्वर का पत्थर है, और दानेश्वर की लाठी है,
समझ की मटकी बचा के प्यारे, भाग्य नहीं तो फूटा है.

बन की छोरी ने लूटा है, बेच के कंठी साधू को,
बाती जली हुई मन इसका, गले में सूखा ठूठा है.

चिंताओं की चिता है मानव, मंसूबों का बंधन है,
बिरला पंछी फुदके गाए, रस्सी है न खूंटा है.

सुनता है वह सारे जग की, करता है अपने मन की,
सीने के भीतर रहता है, मेरा यार अनूठा है.

लिखवाई है हवा के हाथों, माथे पर इक राह नई,
'मुंकिर' सब से बिछड़ गया है, सब से रिश्ता टूटा है.


1 अंश 2 पूर्ण 

،رِشتہ ناتا قُنبہ فِرقہ، سارا جگ یہ جھوٹا ہے 
جزو کی ندیا مچل کے بھاگی، کُل کا ساگر روٹھا ہےِ٠ 

گیانیشورکا پتھر ہے اور دانیشورکی لاٹھی ہے
سمجھ کی مٹکی بچا کے پیارے، بھاگ نہیں تو پھوٹا ہے٠ 

بن کی چھوری نے لوٹا ہے، بیچ کے کنٹھی جوگی کو 
باتی جلی ہوئی من اسکا، گلے میں سوکھا ٹھوٹھا ہے٠ 

چِنتاؤں کی چِتا ہے مانو، منصوبوں کا بندھن ہے 
بڑلا پہنچی پُھدکے گاۓ، رسسی ہے نہ کھونٹا ہے٠ 

سُنتا ہے وہ سارے جگ کی، کرتا ہے اپنے من کی 
سینے کے بھیتر رہتا ہے، میرا یار انوکھا ہے٠ 

لِکھوائی ہے ہَوا کے ہاتھوں، ماتھے پر اِک راہ نئی 
منکر سب سے بچھڑ گیا ہے، سب سے رشتہ ٹوٹا ہے٠ 

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