Saturday, May 19, 2018

63 ज़मीं पे माना, है ख़ाना ख़राब1 का पहलू,

63

ज़मीं पे माना, है ख़ाना ख़राब1 का पहलू,
मगर है अर्श पे, रौशन शराब का पहलू.

ज़रा सा ग़ौर से देखो, मेरी बग़ावत को,
छिपा हुआ है, किसी इन्क़लाब का पहलू. 

नज़र झुकाने की, मोहलत तो देदे आईना,
सवाल दाबे हुए है,जवाब का पहलू.

पड़ी गिज़ा  ही, बहुत थी मेरी बक़ा के लिए,
बहुत अहम है मगर, मुझ पे आब का पहलू.

ख़ता ज़रा सी है, लेकिन सज़ा है फ़ौलादी,
लिहाज़ में हो ख़ुदाया, शबाब का पहलू.

खुली जो आँख तो देखा, निदा2 में हुज्जत थी,
सदाए ग़ैब में पाया, हुबाब3 का पहलू.

तुम्हारे माज़ी  में, मुखिया था कोई, ग़ारों में,
अभी भी थामे हो उसके निसाब4 का पहलू.

बड़ी ही ज़्यादती की है, तेरी ख़ुदा ई ने,
तुझे भी काश हो लाज़िम हिसाब का पहलू.

ज़बान खोल न पाएँगे, आबले दिल के,
बहुत ही गहरा दबा है, इताब5 का पहलू.

सबक़ लिए है वह, बोसीदा दर्स गाहों के,
जहाने नव को सिखाए, सवाब का पहलू.

तुम्हारे घर में फटे बम, तो तुम को याद आया,
अमान व् अम्न पर लिक्खे, किताब का पहलू.

उधम मचाए हैं 'मुंकिर' वह दीन व् मज़हब के ,
जुनूँ को चाहिए अब सद्दे बाब6 का पहलू.

1-  बर्बादी 2-ईश वाणी 3- बुलबुले 4- Cource 5- सज़ा 6- समाप्त  

***

زمیں پہ مانا، ہے خانہ خراب کا پہلو 
مگر ہے عرش پر، روشن شراب کا پہلو٠ 

،ذرہ سا غور سے دیکھو، میری بغاوت کو 
چھپا ہے اس میں،  کسی انقلاب کا پہلو٠ 

،نظر جُھکانے کی مہلت تو دے دے آئینہ 
سوال دا بے ہوئے ہے ، جواب کا پہلو٠

،پڑی غذا ہی بہت تھی، مری بقا کے لئے 
بہت اہم ہے مگر، مُجھ پہ آب کا پہلو٠

،خطا ذرہ سی ہے، لیکن سزا ہے فولادی 
لحاظ میں ہو خدا یا ، شباب کا پہلو٠

،کُھلی جو آنکھ تودیکھا، ندا میں حُجّت تھی 
صداے غیب میں دیکھا حُباب کا پہلو٠

،تُمہارے ماضی کا مُکھیہ کوئی تھا، غاروں میں 
ابھی بھی تھامے ہو، اسکے نصاب کا پہلو٠ 

،بڑی ہی زیادتی کی ہے، تری خدائی نے 
تجھے بھی کاش ہولازم ، حساب کا پہلو٠ 

،زبا ں کو کھول نہ پاینگے آبلے دل کے 
بہت ہی گہرا دبا ہے، عتاب کا پہلو٠ 

،سبق لئے ہے وہ، بوسیدہ درس گاہوں کے 
جہانِ نو کو سکھاۓ ثواب کا پہلو٠ 

،تمہارے گھر میں پھٹے بم تو تمہیں یاد آیا 
امان و امن پر لکھکھے کتاب کا پہلو٠ 

،اُدھم مچاۓ ہیں منکر، وہ دھرم ومذہب کے 
جُنوں کو چاہئے اب صدّ باب کا پہلو٠ 

1 comment:

  1. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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