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वह जब क़रीब आए ,
इक खौ़फ़ दिल पे छाए.
जब प्यार ही न पाए,
महफ़िल से लौट आए.
दिन रात गर सताए,
फ़िर किस तरह निंभाए?
इस दिल से निकली हाय!
अब तू रहे की जाए.
रातों की नींद खो दे,
गर दिन को न सताए.
ताक़त है यारो ताक़त,
गर सीधी राह पाए.
है बैर भी तअल्लुक़
दुश्मन को भूल जाए.
हो जा वही जो तू है,
होने दे हाए, हाए.
इक़रार्यों का काटा,
'मुंकिर' के पास आए.
***
***
،وہ جب قریب آۓ
اک خوف دل پہ چھاۓ٠
،جب پیار ہی نہ پاۓ
محفل سے لوٹ آۓ٠
،دن رات گر ستاۓ
پھر کوئی کیوں نبھاۓ٠
،اس دل سے نکلی ہاۓ
اب وہ رہے کہ جاۓ٠
،راتوں کی نیند کھو دے
گر دن کو نہ ستاۓ٠
،طاقت ہے یارو طاقت
گر سیدھی راہ پاۓ٠
،ہے بیر بھی تعلّق
دشمن کو بھول جاۓ٠
،ہو جا وہی جو تو ہے
.ہونے دے ہاۓ! ہاۓہاۓ.
،اقراریوں کا مارا
منکر کے پاس آۓ٠
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