नज़्म
ईमान की कमज़ोरी
मेरा ईमान1 यक़ीनन, है अधूरा ही अभी,
बर्क़ रफ़्तार2 है, मशगूल ए सफ़र३ ,
हुक्म ए रब्बानी४ को,
ख़ुद सुन के ये क़ायल५ होगा,
क़ुर्रा ए अर्ज़ ओ फ़िज़ा६ नाप चुका,
क़ुर्रा ए बाद७ के, काँधों पे चढा,
शम्सी हलक़ो ८ से बढ़ गया आगे,
डेरा डाले है ख़लाओं९ में अभी,
रौशनी साल१० से भी तेज़ क़दम,
सर पे तकमील११ की शिद्दत१२ को लिए,
है बड़े अज़्म१३ से सर-गर्म ए सफ़र,
पाने वाला है, ख़ुदाओं का पता,
मैं भी कह पाऊँगा, ईमान के साथ,
मेरा ईमान भी मुकम्मल है।
मेरा ईमान यक़ीनन, है अधूरा ही अभी,
बर्क रफ़्तार है, मशगूले-सफर,
मैं क़यासों१४ के मनाज़िल१५ पे, नहीं ठहरूंगा,
हार मानूंगा नहीं, हद्दे-ख़ेरद१६ के आगे,
आतिशे-जुस्तुजू१७ में जलता हुवा,
पैकरे-शाहिदी१८ में ढलता हुवा,
हर्फ़ ए आखीर१९ को लिखूंगा मैं,
हक़ को पाने की क़सम खाई है,
चाँद तारों पे वजू२० करते हुए,
अर्शे-आला२१ पे पहुँच जाऊंगा,
देखना है कहाँ छुपा है 'वह',
उससे थोडी सी गुफ़्तुगू होगी,
मौज़ूअ२२, यह फ़लक़ी२३ 'डाकिए' होंगे,
उनके पैग़ाम पर जिरह होगी,
लेके ईमान ए ज़मीं लौटूंगा,
मेरा ईमान यक़ीनन है अधूरा ही अभी,
इसकी तकमील२४ मेरी मंज़िल है।।
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