Wednesday, April 24, 2019

जुंबिशें - - - रुबाइयात


रुबाइयात
मज़हब है रहे गुम पे, दिशा हीन धरम हैं,
आपस में दया भाव नहीं है, न करम हैं,
तलवार, धनुष बाण उठाए दोनों,
मानव के लिए पीड़ा हैं, इंसान के ग़म हैं.

مذہب ہے رہِ گُم پہ ، دِشا ہین دھرم 
آپس میں دَیا بھاؤ نہیں ہے ، نہ کرم 
تلوار ، دھنُش بان ، اُٹھاۓ دونو 
مانَو کے لئے پیڑا ہیں ، اِنسان کے غم ٠ 
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सच्चे को बसद शान ही, बन्ने न दिया
बस साहिबे ईमान ही, बन्ने न दिया
पैदा होते ही कानों में, फूँक दिया झूट
इंसान को इंसान ही, बन्ने न दिया.
बसद=१००%

بچّے کو بصد شان ہی بننے نہ دیا 
بس صاحب ایمان ہی بننے نہ دیا 
پیدا ہوتے ہی کان میں پھونک دیا جھوٹ 
اِنسان کو اِنسان ہی بننے نہ دیا .

***

ये लाडले, प्यारे, ये दुलारे मज़हब,
धरती पे घनी रात हैं, सारे मज़हब,
मंसूर हों, तबरेज़ हों, या फिर सरमद,
इन्सान को हर हाल में, मारे मज़हब.

یہ لاڈلے پیارے ، یہ دُلارے مذہب 
دھرتی پہ گھنے رات ہیں سارے مذہب 
منصور ہوں ، تبریز ہوں یا پھر سرمد 
انسان کو ہر حال میں مارے مذہب .

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