दोहे
गति से दुरगत होत है, गति से गत भर मान,
गति की लागत कुछ नहीं, गति के मूल महान।
گتی سے درگت ہوت ہے ، گتی سے گت بھر ماں
گتی کی لاگت کچھ نہیں ، گتی کے مول مہان ٠
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काहे हंगामा करे, रोए ज़ारो-क़तार,
आंसू के दो बूँद बहुत हैं, पलक भिगोले यार।
کاہے ہنگامہ کرے ، روۓ زار و قطار
آنسو کے دو بوند ہی ، پلک بھگویں یآڑ٠
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मन को इतना मार मत , मर जाएँ अरमान ,
अरमानों के जाल में, मत दे अपनी जान
من کو اتنا مار مت ، مر جایں ارمان
ارمانوں کے جال میں مت دے اپنی جان
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चित को क़ैदी कर गई , लोहे की दीवार
बड़ी तिजोरी में छिपी , दौलत की अंबार .
اس کو قیدی کر گئی ، لوہے کی دیوار
بڑی تجوری میں چھپی ، دولت کی انبار ٠
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आओ पडोसी लड़ मरें हो उनका उद्धार ,
बड़े देश सब बेच लें काई लगे हथियार .
آؤ پڑوسی لڑ مریں ، انکا ہو ادھار
بڑے دیش سب بیچ لیں، کائی لگے ہتھیار ٠
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अम्रीका योरोप हैं जगे, जगे चीन जापान,
दीन धरम की नींद में, पड़ा है हिन्दुस्तान.
امریکہ یوروپ جگے ، جگا چین جاپان
دین دھرم کی نیند میں ، پڑا ہے ہندوتان ٠
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
21/04/2019 को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
तहँ धरम गोहारे जहँ मिला लूट ते राज |
ReplyDeleteतहाँ धरम दुत्कारे जहँ मिला झूठ ते राज || १२ ||
भावार्थ : - जहाँ लूट से राज मिला वहाँ ये बहिर्देशी अधर्मी धर्म का ढोंग कर उसके सच्चे अनुयायी हो गए जहाँ झूठ से सत्ता मिलने लगी वहां ये नास्तिक का पाखंड कर धर्म का तिरष्कार करने लगे |
वाह ! सार्थक सुंदर दोहे।
ReplyDeleteचुभते और झकझोरते दोहे.
ReplyDeleteहकीकत को दर्शाती हुई सूंदर रचना ,बधाई हो
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