दोहे
1
जिनके पंडित मोलवी घृणा पाठ पढ़ाएँ ,
दीन धरम को छोड़ के , वह मानवता अपनाएं .
جن کے پنڈت مولوی ، گھرنا پاٹھ پڑھا یں
دین دھرم کو چھوڑ کے ، وہ مانوتا اپنایں ٠
*
2
क़ुदरत ही है आइना, प्रकृति ही है माप,
तू भी उसका अंश है, तू भी उसकी नाप।
فطرت ہی ہے آئینہ ، قدرت ہی ہے ماپ
تو بھی اسکا جزو ہے ، تو ہی اسکی تاپ ٠
3
बा-मज़हब मुस्लिम रहे, हिदू रहे सधर्म,
अवसर दंगा का मिला, हत्या इन का धर्म।
با مذہب مسلم رہے، ہندو رہے سدھرم
اوسر دنگا کا ملا ، ہتیہ پھر نرمم ٠
ReplyDeleteजिह्वा के स्वादु बिबस मारि मारि जिउ खाए |
पीर कहिता आपनपो औरन हंत बताए ||