दोहे
4
गति से दुरगत होत है, गति से गत भर मान,
गति की लागत कुछ नहीं, गति के मूल महान.
گتی سے درگت ہوت ہے ، گتی سے گت بھر ماں
گتی کی لاگت کچھ نہیں ، گتی کے مول مہان ٠
*
5
काहे हंगामा करे, रोए ज़ारो-क़तार,
आंसू के दो बूँद बहुत हैं, पलक भिगोले यार.
کاہے ہنگامہ کرے ، روۓ زار و قطار
آنسو کے دو بوند ہی ، پلک بھگویں یآڑ٠
*
6
मन को इतना मार मत , मर जाएँ अरमान ,
अरमानों के जाल में, मत दे अपनी जान.
من کو اتنا مار مت ، مر جایں ارمان
ارمانوں کے جال میں مت دے اپنی جان
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