Monday, January 7, 2019

जुंबिशें - - - दोहे 22-24


22

कुदरत का ये रूप है, देख खिला है फूल, 
अल्लाह की धुन छोड़ दे, पत्थर पूजा भूल. 

الله کی شکل ہے ، دیکھ کھلا ہے پھول 
واحد مطلق ترک کر ، پتھر پوجہ بھول ٠


23

कुदरत ही है आईना, प्रक्रति ही है माप, 
तू भी इसका अंश है, तू भी इसकी ताप. 

قدرت ہی ہے آئینہ ، پرکرتی ہی ہے ناپ 
تو بھی اسکا انش ہے ، تو بھی اسکی تاپ 

24

'मुंकिर' हड्डी मॉस का, पुतला तू मत पाल,
तन में मन का शेर है, बाहर इसे निकाल.

'منکر' ہڈی ماس کا ، پتلا تو مت پال 
تن میں من کا شیر ہے ،باہر اسے نکال ٠
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