52
तन सिंचित मोती जड़ित , मन मोहन मुस्कान ,
है सृजित शोभा गणित , अल्ला तेरी शान .
تن سنچت ، موتی جڑت ، من موہن مسکان
ہے سرجت شوبھا گڑت ، اللہ تیری شان ٠
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53
उपदेशों से न बनी , लाए ईश आदेश ,
शक्ति को भगती मिले , बने जो अध्यादेश .
اپدیشوں سے نا بنی ،لایں ایش آدیش
شکتی کو بھکتی میل ، بنے جو ادھیا دیش ٠
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54
दावत हक की लाएं हैं , खिला रहे हैं भूख ,
इनके उनके फ़िक्र में, खुद भी गए हैं सूख .
دعوت حق کی لاۓ ہیں ، کھلا رہے ہیں بھوک
انکی انکی فکر میں خود بھی گئے ہیں سوکھ
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