55
खोले अपना डाक घर , बैठा उपर खुदाए ,
ख़त ले आया डाकिया , मार मार पढवाए .
کھولے اپنا ڈاک گھر، بیٹھا اوپر خداۓ
خط لے آیا ڈاکیہ ، مار مار پڑھواے ٠
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56
आ देखे शमशान को या फिर कब्रिस्तान ,
जीवन की सच्चाई चुन , ऐ भोले नादान .
آ دیکھیں شمشان کو یا پھر قبرستان
جیون کی سچچائی چن ، ائے بھولے نادان
57
काम किसी के आए न , वह मन का कंगाल ,
पूछे सब से खैरियत , पूछे सब से हाल .
کام کسی کے اے نہ وہ مان کا کنگال
سب سے پوچھے خیریت ، پوچھے سب کا حال
धरम न कोउ बिसारिये निकसत जबहीं प्रान |
ReplyDeleteधरके काँधे धर्मही लिए जाता श्मसान || ८ ||
भावार्थ : - किसी को भी धर्म का अनादर नहीं करना चाहिए वह धर्म ही है जो प्राण निकलने के पश्चात मनुष्य को अपना कंधा देकर श्मशान ले जाता है |