Wednesday, January 9, 2019

जुंबिशें - - - दोहे 28-30


28

काहे हंगामा करे, रोए ज़ारो-क़तार,
आंसू के दो बूँद बहुत हैं, पलक भिगोले यार.
کاہے ہنگامہ کرے ، روے زار و قطار 
آنسو کے دو بوند بہت ہیں ، پلک بھگولے یار 

29

'मुंकिर' कच्ची सोच है, ऊपर है इनआम,
इस में गारत कर लिया, नीचे का मय जाम.
'منکر' طفلی سوچ ہے ، اوپر ملے انعام 
اس سے غارت ہو گے ، نیچے کے مے جام ٠


30

हम में तुम में रह गई, न नफ़रत न चाह,
बेहतर है हो जाएँ अब, अलग अलग ही राह.
ہم میں تم میں رہ گئی ، نہ نفرت نہ چاہ 
بہتر ہے ہو جایں اب ، الگ الگ ہی راہ ٠

No comments:

Post a Comment