Saturday, December 21, 2013

unbishen 119

क़तआत 

कसौटी 
ईमान को पाया है या ईमान लिया है ?
मनवाया गया है कि इसे मान लिया है .
फटका है ? पछोरा है ? इसे जान लिया है ?
लोगों के गढ़े देव को पहचान लिया है ?


पसीने के फूल 
हल पेट की गुत्थी थी, दहकाँ की बदौलत ,
तन सर की मुहाफ़िज़ है, ये मज़दूर की मेहनत 
दीवारों में लिपटी हुई आरिफ़ की दुआएं ,
है ताक़ पे अटकी हुई, आबिद की इबादत.


दुआए ख़ैर 
ये ज़ातयाती सदमें, माहौलयाती फ़ितने ,
ये दुश्मनी के नरगे, ये नफ़रतों के रखने ,
ऐ क़ूवत ए इरादी, इन से बचा के ले चल ,
जब तक मेरी मुहिम में, आफ़ाक़ियत न झलके .

1 comment:

  1. लाल किले के पसे चोर बाज़ारा में मिले है..,
    चाँदनी चौंक के फुटकल पसारा में मिले है..,
    सूना है के सस्ता हुवा ये ईमान का तमगा..,
    हर गली वो हर कूचे हरेक पारा में मिले है.....

    पारा = मुहल्ला

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