क़तआत
कसौटी
ईमान को पाया है या ईमान लिया है ?
मनवाया गया है कि इसे मान लिया है .
फटका है ? पछोरा है ? इसे जान लिया है ?
लोगों के गढ़े देव को पहचान लिया है ?
पसीने के फूल
हल पेट की गुत्थी थी, दहकाँ की बदौलत ,
तन सर की मुहाफ़िज़ है, ये मज़दूर की मेहनत
दीवारों में लिपटी हुई आरिफ़ की दुआएं ,
है ताक़ पे अटकी हुई, आबिद की इबादत.
दुआए ख़ैर
ये ज़ातयाती सदमें, माहौलयाती फ़ितने ,
ये दुश्मनी के नरगे, ये नफ़रतों के रखने ,
ऐ क़ूवत ए इरादी, इन से बचा के ले चल ,
जब तक मेरी मुहिम में, आफ़ाक़ियत न झलके .
लाल किले के पसे चोर बाज़ारा में मिले है..,
ReplyDeleteचाँदनी चौंक के फुटकल पसारा में मिले है..,
सूना है के सस्ता हुवा ये ईमान का तमगा..,
हर गली वो हर कूचे हरेक पारा में मिले है.....
पारा = मुहल्ला