नज़्म
अपील
लिपटे- लिपटे सदियाँ गुज़रीं वहेम् की इन मीनारों से ,
मन्दिर ,मस्जिद ,गिरजा ,मठ और दरबारी दीवारों से ,
अन्याई उपदेशों से और कपट भरे उपचारों से ,
दोज़ख़, जन्नत की कल्पित, अंगारों, उपहारों से ।
बहुत अनोखा जीवन है ये, इन पर मत बरबाद करो ,
माज़ी के हैं मुर्दे ये सब , इनको मुर्दाबाद करो ,
इनका मंतर उनका छू, निज भाषा में अनुवाद करो ।
निजता का काबा काशी, निज चिंतन में आबाद करो.
बहुत बढ़िया गीतिका प्रस्तुत की है आपने तो!
ReplyDelete